Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 494
________________ जे भिक्खू गिहंसि वा गिहमुहंसि वा गिहदुवारंसि वा गिहपडिदुवारंसि वा गिहेलयंसि वा गिहंगणंसि वा गिहवच्चसि वा उच्चारं वा पासवणं वा परिहवेइ परिहतं वा साइज्जइ ॥७३॥ जे भिक्खू मडगगिहंसि वा मडगछारियसि वा मडगधूभियंसि वा मडगआसयसि वा मडगलेणंसि वा मडगथंडिलंसि वा मडगवच्चंसि वा उच्चारं वा पासवणं वा परिहवेइ परिहवेंतं वा साइज्जइ ॥७४।। जे भिक्खू इंगालदाहंसि वा खारदाहंसि वा गायदाहंसि वा तुसदाहंसि वा भुसदाहंसि वा उच्चारपासवणं परिहवेइ परिद्ववेतं वा साइज्जई ॥७५॥ जे भिक्खू सेयाययणंसि वा पंकसि वा पणगंसि वा उच्चारपासवणं परिद्ववेइ परिहवेंतं वा साइज्जइ ॥७६॥ । जे भिक्खू अहिणवियासु गोलेहणियासु वा अहिणवियासु मट्टियाखाणीस वा परि जमाणियानु वा अपरि जमाणियाम् वा उच्चारपासवणं परिठवेइ परिवत वा साइज्जइ ॥७७॥ जे भिक्खू उंबरवच्चंसि वा नग्गोहवच्चंसि वा आसत्यवच्चंसि वा उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिदठवेंतं वा साइज्जइ ॥७८॥ जे भिक्खू इक्खुवणंसि वा सालिवणंसि वा कुसुंभवणंसि वा कप्पासवणंसि वा उच्चारपासवणं परिदठवें। परिदृठवेत वा साइज्जइ ॥७९॥ जे भिक्खू डागवच्चंसि वा सागवच्चंसि वा मूलगवच्चंसि वा कोत्थंभरिवच्चंसि वा खारवच्चंसि वा जीरयवच्चंसि वा दमणयवच्चंसि वा मरुयवच्चंसि वा उच्चारपासवर्ण परिवेइ परिद्रठवेतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू असोगवणंसि वा सत्तवण्णवर्णसि वा चंपगवणंसि वा चूयवर्णसि वा अण्णयरेसु वा तहप्पगारेग्नु पत्तोवेएसु पुप्फोवेएम फलोवेएमु छाओवेएसु उच्चारपासवणं परिठवेइ परिहवेतं वा साइज्जइ ॥८१॥ जे भिक्खू सपायंसि वा परपायसि वा दिया वा राओ वा वियाले वा उव्वाहिज्जमाणे सपायं गहाय, परपायं वा जाइत्ता उच्चारपासवणं परिद्ववेत्ता अणुग्गए सरिए एडइ एडतं वा साइज्जइ ॥२॥ तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारहाणं उग्घाइयं ॥३॥ ॥ निसीहज्झयणे तइओ उद्दसोसमतो ॥३॥

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