Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 512
________________ जे भिक्खू गिलाणवेयावच्चे अभुटिए गिलाणपाउग्गे दध्वजाए अलभमाणे जो तं ण पडियाइक्खइ ण पडियाइक्वंतं वा साइज्जइ ॥ ३९ ॥ जे भिक्खू गिलाणवेयावच्चे अब्भुटिए सएण लाभेण असंथरमाणे जो तस्स न पडितप्पई न पडितप्पंतं वा साइज्जइ ॥ ४० ॥ जे भिक्खू पहमपाउसंसि गामाणुगाम दुइज्जइ दुइज्जतं वा साइज्जइ ॥४१॥ जे भिक्खू वासावासं पज्जोसवियंसि गामाणुगाम दुइज्जइ दुइज्जतं वा साइज्जइ ॥४२॥ जे भिक्खू अपज्जोसवणाए पज्जोसवेइ पज्जोसवेंतं वा साइज्जइ ॥ ४३ ॥ जे भिक्खू पज्जोसवणाए ण पज्जोसवेइ ण पज्जोसवेंतं वा साइज्जइ ॥४४॥ जे भिक्खू पज्जोसवणाए गोलोमाईपि वालाई उवाइणावेद उवाइणात वा साइजह ॥४५॥ जे भिक्खू पज्जोसवणाए इत्तरियपि आहारमाहारेइ आहारेंतं वा साइज्जह ॥४६॥ जे भिक्खू अण्णउत्थिरण वा गारथिएण वा पज्जोसवेइ पज्जोसवेंतं वा साइज्जइ ।। ४७॥ जे भिक्खू पढमसमोसरणुद्देसे पत्ताई वा चीवराई वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥४८॥ तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइयं ॥ ४९ ॥ ॥ निसीहजप्रयणे दसमो उद्देसो समत्तो ॥१०॥ ॥ एकादशोदेशकः ॥ जे भिक्खू अयपायाणि वा तंवपायाणि वा तउपायाणि वा सीसगपायाणि वा कंसपायाणि वा रुप्पायाणि वा सुवणपायाणि वा जायख्वपायाणि वा मणिपायाणि वा कणगपायाणि वा दंतपायाणि वा सिंगपायाणि वा चम्मपायाणि वा चेलपायाणि वा अंकपायाणि वा संखपायाणि वा वइरपायाणि वा करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥ १ ॥ एवं धरेइ धरतं वा साइज्जइ ॥ २॥ एवं परिभुंजइ परिभुजंतं वा साइज्जइ ॥३॥ जे भिक्खू अयवंधाणि वा जाव वइरवंधाणि वा करेइ करेंतं वा साइइज्जइ ॥ ४॥ एवं-धरेइ धरतं वा साइज्जइ ॥ ५॥ एवं परिभुंजइ परिभुंजतं वा साइज्जइ ॥ ६॥ जे भिक्खू परं अद्धजोयणमेराओ पायवड़ियाए गच्छइ गच्छंतं वा साइज्जइ ।।

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