Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 514
________________ जे भिक्खू असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा परिवासेई परिवासेंतं वा साइज्जइ ॥७८॥ जे भिक्खू परिवासियस्त असणस्स वा पाणस्स वा खाइमस्स वा साइमस्स वा तयप्पमाणं वा भूइप्पमाणं वा विदुप्पमाणं वा आहारं आहारेइ आहारतं वा साइज्जइ ॥ जे भिक्खू मंसाइयं वा मच्छाइयं वा मंसखलं वा मच्छखलं वा आहेणं वा पहेणं वा संमेलं वा हिंगोलं वा अन्नयरं वा तहप्पगारं विख्वरूवं वा हीरमाणं पेहाए ताए आसाए ताए पिवासाए तं रयणि अण्णत्थ उवाइणावेइ उचाइणात वा साइज्जइ ।८। जे भिक्खू निवेयणपिंडं भुंजइ झुंजतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू अहाछंदं पसंसइ पसंसतं वा साइज्जइ ॥८२॥ जे भिक्खू अहाछंदं वंदइ बंदंतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खु णायगं वा अणायगं वा उवासंग वा अणुवासगं वा अणलं पवावेइ पवावेत वा साइज्जइ ॥८४॥ जे भिक्खू णायगं वा अणायगं वा उवासगं वा अणुवासगं वा अणलं उवहावेइ उवट्ठावेंतं वा साइज्जइ ॥८५|| जे भिक्खू णायगेण वा मणायगेण उवासएण वा अणुवासरण वा अणलेण वेयावच्चं कारावेइ कारावेतं वा साइज्जइ ।।८।। जे भिक्खू सचेले सचेलगाणं मज्झे संवसइ संवसंत वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू सचेले अचेलगाणं मज्झे संवसइ संवसंतं वा साइज्जइ ॥८८॥ जे भिक्खू अचेले सचलगाणं मज्झे संवसइ संवसंतं वा साइज्जइ ॥८९॥ जे भिक्खू अचेले अचेलगाणं मज्झे संवसइ संवसंत वा साइज्जइ ॥१०॥ जे भिक्खू परिवसियं पिप्पलिं वा पिप्पलिचुण्णं वा सिंगवेरं वा सिंगवेरचुण्णं वा विलं वा लोण उभियं वा लोण आहारेइ आहारत वा साइज्जइ ॥९१॥ जे भिक्खू गिरिपडणाणि वा मरुपडणाणि वा भिगुपडणाणि वा तरुपडणाणि वा गिरिपक्खंदणाणि वा मरुपक्खंदणाणि भिगुपक्खंदणाणि वा तरुपक्खंदणाणि वा जलपिवेसाणि वा जलणपवेसाणि वा जलपक्खंदणाणि वा जलणपक्खंदणाणि वा विसभक्खणाणि वा सत्थोपाडणाणि वा वलयमरणाणि वा सट्टाणि वा तब्भवमरणाणि वा अंतोसल्लमरणाणि वा वेहायसाणि वा गिद्धपट्टाणि वा जाव अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि बालमरणाणि पसंसइ पससंत वा साइज्जइ ॥९२॥ तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्याइयं ॥१३॥ ॥ निसीहज्झयणे एगारसमो उद्देसो समत्तो ॥११॥

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