Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 519
________________ ॥ त्रयोदशो देशकः॥ जे मिक्खू अणंतरहियाए पुढचीए ठाणं चा सेज्जं वा णिसेज्ज वा णिसीहियं वा चेएइ चेएंतं वा साइज्जइ ॥ १॥ ___ एवं जे भिक्खू ससणिद्धाए पुढवीए० ॥ २ ॥ जे भिक्खू ससरक्खाए पुढवीए. ॥३॥ जे भिक्खू मटियाकडाए पुढवीए० ॥ ४ ॥ जे भिक्खू चित्तमंताए पुढवीए. ॥ ५ ॥ जे भिक्खू चित्तमताए सिलाए ॥ ६॥ जे मिक्खू चित्तमंताए लेलए ठाणं वा सेज्जं वा निसेज वा निसीहियं वा चेएइ चेएत वा साइज्जइ ॥७॥ जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारुए जीवपइटिय सअंडे सपाणे सवीए सहरिए सओस्से सउदए सउतिगपणगदगमट्टियमक्कडासंताणगंसि ठाणं वा सेज्जं वा णिसेज्ज वा णिसीहियं वा चेएइ चेएतं वा साइज्जइ ॥ ८ ॥ जे भिक्खू श्रूणसि वा गिहेलुयंसि वा उसुयालंसि वा कामजलंसि वा दुबद्ध दुण्णिक्खिचे अणिक्कंपे चलाच ठाण वा सेज्जंग णिसेज्जं वा णिसीहियं वा चेएइ चेदंतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्खू कुलियंसि वा भित्तिसि वा सिलंसि वा टेलसि वा अंतलिक्खजायंसि वा दुब्बद्धे दुणिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले ठाणं वा सेज्ज वा निसेज्जं वा णिसीहियं वा चेएइ चेएंतं वा साइज्जह ॥ १० ॥ जे भिक्खू खसि वा फलिहंसि वा मंचंसि वा मंडसि वा मालंसि वा पासायंसि वा इम्मतलंसि वा दुवढे दुण्णिक्खित्ते अणिक्कंपे चलाचले ठाणं वा सेज्ज वा निसेज्ज वा निसीहिय वा चेएइ चेएतं वा साइज्जइ ॥ ११ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा सिप्पं वा सिलोग वा अट्ठावयं वा कक्कडगं वा बुग्गरं वा सलाहं वा सलाहकहत्थयं वा सिक्खावेइ सिक्खा वा साइज्जइ ॥१२॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा आगाढं वयइ वयं वा साइज्जइ ॥१शा जे भिक्खू अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा फरसं चयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥१४॥

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