Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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पच्छाप डिसेवियं पच्छाआलोइयं ४ । अपलिउंचिए अपलिउंचियं १, अपलिडंचिए पनिउंचियं २ पलिउंचिए अपलिउंचियं ३ पलिउंचियं ४ | पलिङ चिए पलिउ चियं आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्ठवणाए पट्टविए णिव्विसमाणे पडिसेबर सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया || १९|| जे भिक्खू सोबिमारियं वा बहुसोचि सारेगमासियं वा बहुसोवि दोमासियं वा बहुसोचि सारेगदोमासियं वा बहुसोवि तेमासियं वहुसोवि साइरेगते मासि वा बहुविचाउम्मासियं वा बहुसोवि साडरेगचाउम्मासियं वा बहुसोवि पंचमासि वा बहुसांबि साइरेगपंचमासियं वा, एएसिं परिहारहाणार्ण अण्णयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा पलिउचिय आलो एमाणस्स ठवणिज्जं ठावइत्ता करणिज्जं वेयावडियं ठाविवि पडिसेवित्ता सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियन्वे सिया पुव्वि पडि सेवियं पुचि आलोइयं १, पुव्वि पडि - मेवियं पच्छा आलायं २. पच्छा पडि सेवियं पुव्त्रि आलोय ३, पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोयं ४ | अपलिउंचिए अपलिउ चियं १, अपलिउ चिए पलिउ चियं २ पलिउंचिए अपलिउंचियं ३ पलिउचिए पलिउंचियं ४ | पलिउंचिए पलिउंचिय आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्ठवणाए पट्ठविए निव्विसमाणे पडिमेवेइ सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियन्वे सिया ||२०||
छम्मासि परिहारट्ठाणं पट्ठचिए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे संह सहेउ सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसइराइया दो मासा ||२१|
पंचमासियं परिहारहाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमामासियं परिहारहाणं पडिसेचित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सह सहेउ सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसराइया दो मासा ॥२२॥
चाउम्मासिय परिहारद्वाणं पढविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीस राइया आरोपणा आइमज्ज्ञावसाणे सअट्ठे सहेउ सकारण अहीणमइरितं तेण परं सवीसइराइया दो मासा ॥ २३ ॥
मासि परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीस राइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअट्ठ सहेउ सकारण अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसइराइया दो मासा ॥२४॥

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