Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 531
________________ जे भिक्खू असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अच्चुसिणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥२४९॥ जे भिक्खू उस्सेइमं वा संसेइमं वा चाउलोदगं वा चारोदगं वा तिलोदगं वा तुसोदगं वा जवोद्गं वा आयामं वा सोचीरं वा अवकंजियं वा मुद्धवियर्ड वा अहुणाधोयं अणं विलं अपरिणयं अवुक्कंतजीचं अविद्धत्यं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ।। जे भिक्खू अप्पणो आयरियताए लक्खणाई वागरेइ वागरतें या साइज्जइ ॥२५॥ जे भिक्खू गाएज्ज चा इसेज्ज वा वाएज्ज वा णच्चेज्ज वा अभिणएज्ज या इयहेसियं, इत्थिगुलगुलाइयं, उक्कहसीहनाय वा करेइ करतं वा साइज्जइ ॥२५२॥ जे भिक्खू भेरीसदाणि वा पडहसहाणि वा मुरयसदाणि वा मुइंगसदाणि वा नंदिसदाणि वा झल्लरिसदाणि वा बल्लरिसदाणि वा डमरुगसदाणि वा महलसदाणि वा सदुयसदाणि वा पएससद्दाणि वा गोलंकिसदाणि वा अन्नयराणि वा तहप्पगाराणि वितवाणि सदाणि कण्णसोयवडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेत वा साइज्जइ ॥२५३॥ जे भिक्खू तालसदाणि वा, कंसतालसदाणि वा लित्तियसदाणि वा गोहियसहाणि वा मकरियसदाणि वा कच्छभीसदाणि वा महइसहाणि वा सणालियासदाणि वा वलियासदाणि वा अन्नयराणि वा तहप्पगाराणि घणाणि सदाणि वा कण्णसोयपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेत वा साइज्जइ ।।२५४॥ जे भिक्खू वीणासदाणि वा विवंचीसदाणि चा तुण्णसदाणि चव्वीसदाणि वा वीणाइयसद्दाणि वा तुंवचीणासदाणि वा संकोडयसदाणि वा रुरुयसदाणि वा ढंकुणसहाणि वा अन्नयराणि वा तहप्पगाराराणि तताणि सदाणि कण्णसोयवडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेत वा साइज्जइ ॥२५५॥ - जे भिक्खू संखसदाणि वा ससदाणि चा वेणुसदाणि वा खरमुहीसदाणि वा परिलीसहाणि वा चेचासदाणि वा अन्नयराणि वा तहप्पगाराणि झुसिराणि सदाणि कण्णसोयवडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेंतं वा साइज्जइ ॥२५६॥ जे भिक्खू वप्पाणि वा फलिहाणि जाव वा इहलोइएसु वा रूवेसु परलोइएमु वा रूवेसु जाव अज्झोववज्जतं वा साइज्जइ ॥२५७-२७०॥ त सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं उग्धाइयं ॥२७॥ ॥ निसीहज्मयणे सत्तरसमो उद्देसो समत्तो ॥१७॥

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