Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 510
________________ जे भिक्खू रणो सत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइम वा परस्स नीहडं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ । तंजहा-खुज्जाणं जाव पारसीणं ॥३०॥ तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइयं ॥३१॥ | निसीहज्झयणे नवमो उद्देसो समत्तो ॥९॥ || दशमोदेशकः॥ जे भिक्खू भदंतं आगाहं वयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥१॥ जे भिक्खू भदंतं फरुसं वयई वयं वा साइज्जइ ॥२॥ जे भिक्खू भदंतं आगाढफरुसं क्या वयंतं वा साइज्जइ ॥ ३ ॥ जे भिक्खू भदंतं अण्णयरीए अच्चासायणाए अच्चासाएइ अच्चासाएंत वा साइज्जइ ॥४॥ जे भिक्खू अणंतकायसंजुतं आहारं आहारेइ आहारतं वा साइज्जइ ॥ ५ ॥ जे भिक्खू आहाफम्मं भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥ ६॥ जे भिक्खू तीतं निमित्तं कहेइ कहेंतं वा साइज्जइ ॥ ७ ॥ जे भिक्खू पइप्पण्णं निमित्तं वागरेइ वागरेंतं वा साइज्जइ ॥ ८॥ जे भिक्खू अणागयं निमित्तं वागरेइ वागरेंनं वा साइज्जइ ॥ ९॥ ने भिक्खू सेई विपरिणामेइ सेहं विपरिणामतं वा साइज्जइ ॥ १० ॥ जे भिक्खू सेहं अवहरइ अवहरेंतं वा साइज्जइ ॥ ११॥ ने भिक्खू दिसं विपरिणामेइ विपरिणामेंतं साइज्जई ॥ १२ ।। जे भिक्खू दिसं अवहरइ अवहरंतं वा साइज्जइ ॥ १३ ॥ जे भिक्खू बहियावासियं आएसं परं तिरायाओ अविफालेत्ता संवसावेइ संवसावेतं वा साइज्जइ ॥ १४ ॥ जे भिक्खू साहिगरणं अविओसमियपाहुडं अकडपायच्छित्तं परं तिरायाओ विष्फालिय अविष्फालिय संभुजइ संभुंजतं वा साइज्जइ ॥१५॥ जे भिक्खू उग्याइयं अणुग्धाइयं वयई वयं वा साइज्जइ ॥१६॥ एवं- 'अणुग्घाइयं उग्घाइयं वयई' ॥१७॥ 'उग्याइयं अणुग्धाइयं देइ' ॥१८॥ 'अणुग्घाइयं उग्याइयं दे ॥१९॥

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