Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 503
________________ ॥ सप्तमोदेशकः ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तणमालियं वा मुंजमालियं वा वेत्तमालियं वा मयणमालिय वा पिंछमालियं वा दंतमालियं वा सिंगमालियं वा संखमालियं वा हड्डमालियं वा कट्ठमालियं वा पुप्फमालियं वा फलमालियं वा वीयमालियं वा हरियमालियं वा करेइ करेंत वा साइज्जइ ॥१॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तणमालियं वा मुंजमालियं वा वेत्तमालियं वा मयणमालियं वा पिछमालियं वा दंतमालिय वा सिंगमालिय संखमालियं वा हड्डमालियं वा कट्ठमालियं वा पत्तमालिय वा पुप्फमालियं वा फलमालिय वा वीय. मालियं वा हरियमालियं वा धरेइ धरेत वा साइज्जइ ॥२॥ जे भिक्खू माउग्गामरस मेहुणवडियाए तणमालियं वा मुंजमालियं वा वेत्तमालिय वा मयणमालियं वा पिछमालियं वा दंतमालियं वा सिंगमालिय वा संखमालियं वा हइडमालिय वा कट्ठमालियं वा पत्तमालियं वा पुप्फमालियं वा फलमालिय वा वीयमालियं वा हरियमालियं वा पिणद्धेइ पिणदेंतं वा साइज्जइ ॥३॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तणमालियं वा मुंजमालियं वा वेत्तमालियं वा मयणमालियं वा पिंछमालियं वा दंतमालियं वा सिंगमालिय वा संखमालियं वा हड्डमालियं वा कट्ठमालियं वा पत्तमालियं वा पुप्फमालियं वा फलमालियं वा वीयमालियं वा हरियमालियं वा परिझुंजई परिभुजंतं वा साइज्जइ ॥४॥ जे भिक्खू माउन्गामस्स मेहुणवडियाए अयलोहाणि वा तंबलोहाणि वा तउलोहाणि वा सीसगलोहाणि वा रुप्पलोहाणि चा सुवण्णलोहाणि वा करेइ करेंतं वा साइज्जइ ||५| एवं 'धरेइ' 'परिभुजइ ॥ ७॥ जे भिक्खू माउग्गामम्स मेहुणवडियाए हाराणि वा अद्धहाराणि वा एगावली वा मुत्तावली वा कणगावली वा रयणावली वा कडगाणि वा तुडियाणि वा केऊराणि वा कुंडलाणि वा पट्टाणि वा मउडाणि वा पलंचसुत्ताणि वा सुवण्णमुत्ताणि वा करेइ करें। वा साइज्जइ ॥८॥ एवं 'धरेई' 'परिशुंजई' ॥९-१०॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए आईणाणि वा आईणपाउराणि वा कंवलाणि वा कंवलपाउराणि वा कोयराणि वा कोयरपाउराणि या गोरमियाणि वा कालमियाणि वा णीलमियाणि वा सामाणि वा महासामाणि वा उट्टाणि वाउट्ट लेस्साणि वा वग्याणि वा विवग्याणि वा पलवंगाणि वा सहिणाणि वा सहिणकल्लाणि वा खोमाणि वा दुगुल्लाणि वा तिरीडपाणि वा पतुलाणि वा पडलाणि वा चीणाणि

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