Book Title: Nimitta
Author(s): Bramhachri Mulshankar Desai
Publisher: Bramhachri Mulshankar Desai

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Page 6
________________ श्री परमात्मने नमः श्री भगवदात्मने नमः श्री परमपारिणामिकभावाय नमः निमित्त * मंगलाचरण * निमित्त-नैमित्तिक जाने विना, मिटे न कर्तृत्व भाव। तातें ताको जानकर, करो मोक्ष उपाव ! थोड़े ही वर्षों से निमित्त एवं क्रमबद्ध पर्याय का प्रश्न खड़ा हुआ है। यह प्रश्न उतना जटिल नहीं है कि बुद्धि पूर्वक विचार करने से हल हो न सके, किन्तु 'अपनी बात रह जाये' इस अभिप्राय से यह चर्चा प्रधानपने चल रही है। जब तक बानने के लिये यथार्थ पुरुषार्थ न किया जावे, तबतक इसका विकल्प मिटना असंभव है । सोनगढ से जो प्रतिपादन होता है उस पर उसके ही अनुयायी पूर्ण नौर से निश्चय नहीं कर सकते Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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