Book Title: Nimitta
Author(s): Bramhachri Mulshankar Desai
Publisher: Bramhachri Mulshankar Desai

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Page 28
________________ निमित्त [२३ * V - - - - - - - - - - सीमंधर स्वामी भरतक्षेत्र में हाजिर क्यों नहीं हुए, बल्कि श्री कुन्दकुन्द स्वामी को अर्थान् उपादान को विदेह क्षेत्रमें जाना पडा। (४) एक दिन की बात है। श्री कानजी स्वामी को दखने में कुछ बाधा आती थी। तब उनने श्रीमान रामजी भाई को कहा "अाज देखने में कुछ बाधा आती है ।" श्रीमान् रामजी भाई ने एक आदमी को आज्ञा करी"एक तार का फॉर्म लाओ।" तार का फॉर्म आने से श्रीमान् रामजी भाई ने राजकोट डाक्टरों को तार भेजा • कि तुरन्त स्पेशल मोटर में सोनगढ आजावो और आदमी को शीघ्रातिशीघ्र उस तार को भेजने को कहा। वहां एक भद्र परिणामी आदमी बैठा था । उसने श्रीमान् रामजी भाई को कहा "भाई साहब ! बिना प्रयोजन तार का खर्च क्यों करते हो ? अपना तो सिद्धान्त है कि उपादान की "तैयारी होने से निमित्त हाजिर होता है । तब श्रीमान् रामजी भाई ने कहा, "माई श्री ! हाथी के दो दांत होते हैं, दिखाने के और, और चबाने के और ।" यह जवाब मुनकर वह भद्र परिणामी माई दङ्ग हो गये और कहने लगे "भाप क्या कहते हैं ?" इससे सिद्ध होता है कि • उपादान की तैयारी होने से निमित्त कदापि हाजिर नहीं होता । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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