Book Title: Nimitta
Author(s): Bramhachri Mulshankar Desai
Publisher: Bramhachri Mulshankar Desai

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Page 30
________________ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ निमिच [ २५ प्रश्न--आत्मा के लिए एक क्षेत्र में कौनसा निमित्त है ? उत्तर-ज्ञानावरणादि अष्ट कर्मों का एक समय का उदय प्रात्मा के विकार के लिये निमित्त है और निमित्त जब तक रहेगा तब तक मोक्ष नहीं हो सकता । सत्ता में जो कर्म है वह यथार्थ में निमित्त नहीं है परन्तु एक समय का उदय मात्र निमिच है । इस कर्म के साथ में श्रात्मा एक क्षेत्र में रहते हुए भी बन्ध बन्धक सम्बन्ध है परन्तु आकाशादि द्रव्य का एक क्षेत्र में रहते हुए भी आत्मा के साथ में बन्ध बन्धक सम्बन्ध नहीं होने के कारण यह निमित्त भी नहीं है। उपादान की तैयारी होने से निमित्त हाजिर होता है यह कहना सर्वथा गलत है परन्तु समय समय के कर्म का उदय यथार्थ में निमित्त है और उसके माधीन तद्रूप प्रात्मा की अवस्था होना नैमित्तिक है। प्रभ-योपशम भाव में शुद्ध तथा अशुद्ध परिणाम एक ही साथ में कैसे रहते होंगे ? एक समय में तो एक ही अवस्था होनी चाहिए, परन्तु मिश्र अवस्था होती है ऐसा कोई पागम वास्य है ? उत्तर-समयसार ग्रन्थ के पुरुष-पार अधिकार में कलश नं. ११० में लिखा है कि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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