Book Title: Nimitta
Author(s): Bramhachri Mulshankar Desai
Publisher: Bramhachri Mulshankar Desai

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Page 27
________________ २२ निमित्त अवस्था आदि में होता ही नहीं है । उदीरणाभाव से समय समय में वन्ध नहीं पड़ता है, परन्तु औदयिक भाव से जो बन्ध पडता है उस बन्ध में उदीरणाभाव द्वारा संक्रमण अपकर्षण, उत्कर्षण एवं द्रव्य निर्जरा होती है। औदयिक भाव में कर्म का उदय कारण है और भाव कार्य है जब कि उदीरणाभाव में भाव कारण है और कर्म का उदयावली में आना कार्य है। प्रश्न-"उपादान की तैयारी होने से निमित्त हाजिर होता है" यह कहना क्या सम्यकज्ञान है ? __उसर-नहीं, यह मिथ्याज्ञान है, अज्ञान भाव है। निमित्त भी तो लोक का एक स्वतंत्र द्रव्य है वह हाजिर क्यों होवे ? निमित्त हाजिर होता नहीं है जैसे (१) प्यास लगने से कुंआ हाजिर होता नहीं है, बल्कि कुंआ के पास में उपादान को ही जाना पडता है । ___(२) श्री कानजी स्वामी का प्रवचन सुनने के लिये हमारा उपादान स्वाध्याय मंदिर में भी गया व प्रवचन • सुनने के लिये उपादन तैयार है, इतने में सुना कि स्वामी जी आज प्रवचन नहीं देंगे, निमित्त हाजिर क्यों नहीं हुआ ? (३) श्री कुन्दकुन्द स्वामी का उपादान श्री सीमंधर - - स्वामी का दर्शन करने के लिये तैयार हुआ है तो भी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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