Book Title: Nimitta
Author(s): Bramhachri Mulshankar Desai
Publisher: Bramhachri Mulshankar Desai

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Page 10
________________ निमित्त होता है, उस भाव का नाम क्षायिक भाव है। इस भाव से आत्मा कभी गिरता नहीं है । इस भाव का नाम धर्मभाव है। प्रश्न-पारिणामिक भाव किसे कहते हैं ? उत्तर-कर्म का सद्भाव अभाव कारण न पडे परन्तु आत्मा स्वयं भाव करे उस भाव का नाम पारिणामिक भाव है। प्रश्न- आत्मा में विकारी भाव कितने प्रकार के होते हैं ? उत्तर--दो प्रकार के होते हैं । (१) औदयिक भाव रूप विकार । (२) उदीरणाभाव रूप विकार । प्रश्न--ौदययिक भाव में किस प्रकार विकार होता है ? उत्तर-जितनी डिग्री में घाति कर्म का उदय होता है, उतनी ही डिग्री में प्रात्मा के गुण का नियम से घात होता है । कर्म का उदय कारण है और तद्प आत्मा के गुण की अवस्था का होना कार्य है । प्रश्न-उदीरणा भाव किसे कहते हैं ? उत्तर--जो कर्म सत्ता में है, जिसका उदय काल अभी आया नहीं है, ऐसे कर्मको जिस भाव से उदयावली Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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