Book Title: Nimitta
Author(s): Bramhachri Mulshankar Desai
Publisher: Bramhachri Mulshankar Desai

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Page 14
________________ निमित्त [E करेगा उतने ही अंश में शरीर का परमाणु हलन चलन करेगा । आत्मा के प्रदेश का हलन चलन करना निमित्त और तद्प शरीर के परमाणु का हलन चलन होना नैमित्तिक है। (६) जितने अंश में शरीर के परमाणु लकवाग्रस्त होने के कारण हलन चलन रहित होगा उतने ही अंशमें मात्मा का प्रदेश हलन चलन नहीं कर सकता। शरीर का परमाणु निमित्त है और आत्मा का प्रदेश नैमित्तिक है । प्रश्न-निमित्त के अनुकूल नैमित्तिक की अवस्था होनी ही चाहिए, क्या ऐसा कोई आगम वाक्य है ? उत्तर--बहुत है । देखिये समयसार पुण्य पाप अधिकार गाथा नं० १६५, १६२, १६३ । सम्मत्तपडिणिबद्ध मिच्छतं जिणवरेही परिकहियं । तस्सोदयेण जीवो मिच्छादिट्ठिनि णायव्यो । णाणस्य पडिणिवद्ध असणाणं जिणवरेहीपरिकहियं तस्योदयेण जीवो अण्णाणी होदि गायव्यो । चारित्तपडिणिवद्धं कसायं जिनवरेही परिकहियं । तस्सोदयेण जीवो अचरित्तो होदि गायबो॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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