Book Title: Nimitta Author(s): Bramhachri Mulshankar Desai Publisher: Bramhachri Mulshankar Desai View full book textPage 8
________________ निमित्त [३ दो-ढाई वर्ष पहले शुरू हो चुकी थी। परन्तु अभी तक पूरी नहीं हुई । मेरी दृढ़ श्रद्धा है कि १३२, १३५, १३६ गाथाएँ सोनगढ़ के अभिप्राय से विपरीत की हैं जिस कारण से उनने उसकी टीका करना छोड़ दिया होगा। यदि अपनी मान्यता के अनुकूल उसकी टीका करते तो जैसी नौबत नियमसार ग्रंथ की गाथा ५३ की गलत टीका करने में बजी थी, वैसे ही इसकी बजेगी। इसी मान्यता के कारण टीका होने में देरी हो रही है। ___हमको जानना चाहिए कि कौनसा अनुयोग निमित्त नैमिनिक संबंध म्बीकार करता है, और कौनसा अनुयोग स्वीकार नहीं करता है। प्रश्न-निमिन-नैमित्तिक संबंध कौनसा अनुयोग स्वीकार करता है ? ___ उत्तर--करणानुयोग तथा चरणानुयोग निमित्तनैमित्तिक संबंध स्वीकार करता है। द्रव्यानुयोग निमित्त नैमित्तिक संबंध स्वीकार नहीं करता है । इसकी अपेक्षा से ही जीव का पांच भाव माना गया है। प्रश्न-जीव के पांच भाव कौन से हैं ? उत्तर--(१) प्रौदयिकभाव, (२) बयोपशमभाव (३) उपशम भाव (४) क्षायिक भाव और (५) पारिणामिक भाव । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38