Book Title: Nijdosh Darshan Se Nirdosh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 54
________________ निजदोष दर्शन से... निर्दोष! ८१ प्रश्नकर्ता: आपके शब्द तुरन्त ही क्रियाकारी होकर खड़े रहेंगे। दादाश्री : ये शब्द सारे क्रियाकारी ही होते है, हम यदि भीतर घुसने दें तब घुसने ही नहीं दें, तब क्या हो? 'ज्ञान' प्राप्ति के बाद की परिस्थिति साँप, बिच्छू, सिंह, बाघ, दुश्मन कोई भी तुम्हें दोषित नहीं दिखे, उनका दोष नहीं है ऐसा दिखे, वह दृष्टि हो गई यानी हो गया। वैसी यह दृष्टि आपको मिल गई है। आपको इस दुनिया में कोई दोषित दिखेगा नहीं । प्रश्नकर्ता: वह दृष्टि मिल गई है। दादाश्री : फिर यहाँ पर ही मोक्ष सुख भोगता है। यहाँ पर आनंद ही हो । किसीका दोष दिखाई दे तब तक दुःख रहता है। दूसरों के दोष दिखने बंद हुए यानी छुटकारा । प्रश्नकर्ता: कभी गुस्सा हो जाएँ वाइफ पर, वह दोष दिखा कहलाता है? दादाश्री : पर 'आपको गुस्सा नहीं आता न? प्रश्नकर्ता: मुझे, शुद्धात्मा को नहीं आता । दादाश्री : हाँ, पर वह तो आपको अपना दोष दिखता है। आपको दिखता है न पर यह दोष? प्रश्नकर्ता: हाँ, दिखता है। दादाश्री : मतलब आपका दोष दिखता है पर उसका (वाइफ का ) दोष नहीं दिखता न? प्रश्नकर्ता ना। दादाश्री : बस, तो हमें किसीका दोष नहीं दिखना चाहिए। आपका दोष, चंदूभाई का दोष दिखे, पर अन्य किसीका दोष नहीं दिखना चाहिए। निजदोष दर्शन से... निर्दोष! प्रश्नकर्ता: जब गुस्सा आया, तब उसका (वाइफ का ) दोष दिखा, इसलिए गुस्सा आया न? दादाश्री : नहीं, वह तो उसका दोष दिखा, इसलिए आप कहते हो कि चंदूभाई दोषित हैं, पर आपको वाइफ दोषित नहीं दिखती। आपको उसका दोष नहीं दिखता है, चंदूभाई का दोष दिखता है। अर्थात् आपका खुद का दोष निकालते हो कि 'भाई, यह तो चंदूभाई का ही दोष है। खुद का ही दोष है यह तो !' समझ में आया न? ८२ प्रश्नकर्ता : गुस्सा हो जाने के बाद फिर ऐसा लगता है। दादाश्री : वह हो जाने के बाद भी चंदूभाई दोषित लगते हैं न आपको? प्रश्नकर्ता: हाँ। दादाश्री : तभी गुनाह कहलाता है न! ऐसा होने के बाद ही गुनाह कहलाता है। सामनेवाले का दोष नहीं दिखा, खुद का दोष दिखा यानी चंदूभाई का दोष आपको दिखता है। चंदूभाई गुनहगार है, ऐसा आपको लगता है। प्रश्नकर्ता: हाँ, दादा। ऐसा ही होता है। दादाश्री : चंदूभाई को वह ( वाइफ) गुनहगार है ऐसा लगता है, पर आपको चंदूभाई गुनहगार है ऐसा लगता है। चंदूभाई ने इनका दोष देखा और इनके साथ गुस्सा किया, इसलिए चंदूभाई गुनहगार है, ऐसा लगता है आपको। प्रश्नकर्ता: मेरे नौकर को दो-तीन आवाजें देकर जगाया, लेकिन उसने जवाब नहीं दिया। वह जाग रहा था। उसके ऊपर खूब क्रोध आया तो उसका क्या करना चाहिए? दादाश्री : क्रोध आया, फिर आपको दोष दिखा क्या? प्रश्नकर्ता: दोष तो दादा, पहले दिखा, बाद में ही क्रोध आएगा

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