Book Title: Nandanvan Kalpataru 2008 00 SrNo 21
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 130
________________ ८ प्राकृतविभागः पाशु अषाभुडम् - प्राकृतप्राभूतम् अरैयर् श्रीरामशर्मा Jain Education International (१) (२) (४) (८) (९) (१०) (११) (१२) (१३) (१४) (१५) इन्दो मङ्गळम् कविसओ सावअसिद्धा पाउअविचारो थिई सिवो कन्हो गोआदेवी अन्तरङ्गम् म्हणी वसन्दो पुष्पं- भवँरो नारिकेलो मम् संपुत्तिवअणम् १२३ For Private & Personal Use Only कवीन्द्रः मङ्गलम् कविविषयः श्रावक सिद्धाः प्राकृतविचारः राष्ट्रस्थितिः शिव: कृष्णः गोदादेवी काश्मीरतरुणी वसन्तः पुष्पं-भ्रमरः नालिकेर: निगमनम् संपूर्तिवचनम् www.jainelibrary.org

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