Book Title: Namaskar Mahatmyam Author(s): Siddhasenacharya Publisher: Kesarbai Gyanmandir View full book textPage 6
________________ श्री नमस्कारमाहात्म्ये । ॥ ६ ॥ आठमा प्रकाशमां अरिहंत आदि पांचे परमेष्ठिओनुं संक्षेपथी फरीने वर्णन करेल छे. यद्यपि प्रथमना पांच प्रकाशमां पण अरिहंत आदिनुं ज वर्णन छे अने आठमा प्रकाशमां पण एज वर्णन छे, तो तेमां फरक शुं ? आशंका सहेजे थई जाय, पण तेनुं समाधान ए छे के बन्ने प्रकाशनी शैली भिन्न छे. प्रथमना पांच प्रकाशमां प्रन्थकारे पांच पदना पांत्रीस अक्षरोने अनुलक्षीने ज वर्णन कर्यु छे अने ते पण विस्तारथी. ज्यारे आठमा प्रकाशमां अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु अने केवलिप्रणीतधर्मना शरणनी प्रार्थना करी जिनागम अने जिनवाणीनो महिमा संक्षेपमां वर्णव्यो छे. प्रान्ते नमस्कारनुं ध्यान करनारने केवां अनुपम फलो मळे छे तेनुं वर्णन करी छल्ला लोकमां कर्ताए रचना-स्थल अने पोताना नामनो निर्देश कर्यो छे. ग्रन्थकार परिचय - आ मन्थना रचयिता श्री सिद्धसेनाचार्य छे, एनो निर्णय तो प्रथम प्रकाशना बीजा श्लोकना ' सिद्धसेनाधिनाथाय ' आ उल्लेखथी, अगियारमा श्लोकना ' सिद्धसेनसरस्वती' आ उल्लेखथी अने आठमा प्रका शना छल्ला लोकना ' सिद्धसेनसरस्वत्या ' आ उल्लेखथी थई जाय छे, परंतु तेओश्रीनी सत्तासदी, गुरुपरम्परा, गच्छपरम्परा, विहारभूमि अने प्रन्थरचना आदिनो निर्णय करवा माद्रे आ ग्रन्थनी चारे हस्तलिखित प्रतिओमांथी कांई पण साधन अमने प्राप्त थयुं नथी. आथी ए नामना थई गयेला सूरिवरोना आजना उपलब्ध साधनो उपरथी मात्र नामो ज जणावुं छु, अने जणावेला नामो पैकी कया आचार्यदेवनी आकृति छे एनो निर्णय करी जणाववा इतिहासज्ञोने विनन्ति करुं छु. सम्पाद कीय वक्तव्य । ॥ ६ ॥Page Navigation
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