Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 02 Author(s): Badriprasad Sakariya Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur View full book textPage 9
________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात भाग २ अथ ख्यात भाटियांरी लिख्यते अ जदुवंशी कहीजै। बज्रनाभ प्रदुमनरो बेटो, श्रीकृष्णदेवरो पोतरो१ खीर । १ जादव गिरनाररा धणी। २ खडेर । १ सांम श्री कृष्णदेवरो १ जादव वाघोर करोली बेटो। जाड़ेचा सांमा वाळा । कहावै । हाल रायधण। सरवहिया अरबिंबरा - १ वोटी। १ खीटवाळ । रावळ वछु । १ पाहु बापै रावळरो । बापो रावळ वछुरो१ सिंघराव वछुरो। १ रावळ विजैराव चूडाळो। चूड़ा समारो उतन" भड़ियाद, कांप, घोळहरा । मैं तीनूं चूड़ा समारै बसणा गांम छै, परगनै धांधूकै लागै । भड़ियाद हमार' भोज भींव । चूड़ा समारो बेटो सबळ सिंघ देवीदास धवळहरै वसै छै। रांणा राजपाळरा पोतरा-रांणो राजपाळ सांगारो। सांगो मंझमरावरो१ बुध। १ हईया। १ लहुवा। १ भईया । १ छेना। १ जैतुंग तणुंरो । तणुं वडा १ छोकरण । केहररो। विकूपुर, जैस१ पाहोड़। ळमेर, बीकानेर विचै । १ अटेरण। १ अभोहरिया रावळ दुसा१ लपोड़। झरा । पीरोजशाह I ये यदुवंशी कहे जाते हैं। 2 पोता । 3 श्री कृष्णदेवका पुत्र साम्ब, जिसके वंशज सामा-जाड़ेचा कहलाते हैं । वर्तमानमें रायधरण इस शाखाका है। 4 अर्द्धविम्बके वंशज सरवहिया कहलाते हैं। 5 निवास स्थान। 6 ये तीनों गांव चूड़ा समाकी बैठकके हैं, जिनका परगना धंधुका लगता है। 7 अभी। 8 दूसरी कई प्रतियोंमें यह नाम नहीं है। 9 रावल दुसाझके वंशज अभोहरिया भाटी।Page Navigation
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