Book Title: Marankandika
Author(s): Amitgati Acharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Shrutoday Trust Udaipur

View full book text
Previous | Next

Page 635
________________ अर्थ मरणकण्डिका- ६११ L उद्-दु:खागदुर्गं गुरु- दुरित दवं दग्धुमनीयमाना । हर्तुं मोहान्धकारं कवलित- निखिना तिग्मरश्मीयमाना । निःशेषं वस्तु - दातुं भव-भृदभिमतं कामधेनूयमाना । निर्बाधा या विधत्ताममितगति-सुखं शीघ्रमाराधना वः ॥८ ॥ अति उत्तुंग दुखरूपी पर्वतों से घिरे हुए पापरूपी भयंकर वनको भस्म करने के लिए यह आराधना अग्निसदृश है, मोहान्धकार को नष्ट करने के लिए सूर्य तुल्य है और भव्य जीवों को वांछित फल देने के लिए कामधेनु सदृश है, ऐसी निर्बाध अमित ज्ञान से गर्भित यह उत्तमोत्तम आराधना आप लोगों को अनुपम सुख प्रदान करे ॥८ ॥ श्वभ्र- -भूमि-ज्वलद्वह्निर्याऽविच्छिन्न-जलोद्गतिः । अद्य नः शरणं सास्तु, रत्नत्रय विशुद्धिता ॥९ ॥ अर्थ नरक भूमि रूप प्रज्वलित अग्नि को शान्त करने के लिए अविच्छिन्न मेघधारा सदृश और रत्नत्रय से निर्मल यह आराधना हमको आज शरणभूत हो ॥ ९ ॥ यैषा कुद्दालिका शाता, तिर्यग्दुःखाडुरोद्धृता । अद्य नः शरणं सास्तु, रत्नत्रय विशुद्धिता ॥ १० ॥ अर्थ- तिर्यंचगति के दुखरूपी अंकुरों को उखाड़ फेंकने के लिए कुदाली सदृश यह आराधना हमारे लिए आज शरणभूत हो ॥ १० ॥ मर्त्य-चिन्तित-लाभाय, यैषा कल्पद्रुमायते । अद्य नः शरणं सास्तु, रत्नत्रय - विशुद्धिता ॥ ११ ॥ अर्थ - मनुष्यों को चिंतित पदार्थ प्रदान करने के लिए कल्पवृक्ष तुल्य मानी गई ऐसी यह रत्नत्रय से शुद्ध निर्मल आराधना आज हमारे लिए शरणभूत हो ॥ ११ ॥ दूतिका हृतये येयं, महर्धिक - सुर- श्रियः । अद्य नः शरणं सास्तु, रत्नत्रय - विशुद्धिता ॥ १२ ॥ अर्थ - महाऋद्धिधारी देवों की लक्ष्मी को आमन्त्रित करने के लिए अर्थात् बुलाने के लिए जो दूती सदृश है ऐसी यह रत्नत्रय से विशुद्ध आराधना आज हमारे लिए शरणभूत हो ॥ १२ ॥ मुक्ति-दाने क्षमा यास्ति, विरतिर्भव - संततेः । अद्य नः शरणं सास्तु, रत्नत्रय - विशुद्धिता ॥ १३ ॥ अर्थ- जो मुक्ति प्रदान करने में समर्थ है, भव-परम्परा को नष्ट करने वाली ऐसी यह रत्नत्रय से विशुद्ध आराधना आज हमें शरणभूत हो ॥ १३ ॥ एषैव परमो धर्म, एषैव परमं तपः । एषैवार्हद्वचो वाच्यमेषैव ध्यान - सङ्गतिः ।। १४ ।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684