Book Title: Manidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Smruti Granth Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta Publisher: Manidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Samaroh Samiti New Delhi View full book textPage 7
________________ इस ग्रन्थ में : प्रथम खण्ड क्रमांक लेख लेखक १ विधिमार्ग प्रकाशक जिनेश्वरसूरि और उनको विशिष्ट परम्परा पुरातत्त्वाचार्य मुनिजिनविजय २ श्रोजिन चन्द्रसूरिजी को श्रेष्ठ रचना "संवेगरंगशाला आराधना" पं० लालबन्द भावान् गांधी ३ नवाङ्गो वृतिकार श्रीअभयदेवसूरि अगरचन्द नाहटा ४ प्रकाण्ड विद्वान और कवि श्रेष्ठ श्रीजिनवल्लभसूरि अगरचन्द नाहटा ५ योगीन्द्र युगप्रधान दादा श्रीजिनदत्तसूरि स्व० उ० सुखसागरजी ६ मणिधारी दादा श्रीजिनचन्द्रसूरि ७ षटत्रिंशत् वाद-विजेता श्रीजिनपतिसूरि महो० विनयसागर ८ प्रगटप्रभावी दादा श्रीजिनकुशलसूरि भंवरलाल नाहटा ६ महान् शासन, प्रभावक श्रीजिनप्रभसूरि अगरचन्द नाहटा १० अनेक ज्ञानभण्डारों के संस्थापक श्रीजिनभद्रसूरि पुरातत्वाचार्य मुनिजिनविजय ११ अकबर प्रतिबोधक युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरि भंवरलाल नाहटा १२ दादा गुरुओं के प्राचीन चित्र भंवरलाल नाहटा १३ कीर्तिरत्नसूरि रचित नेमिनाथ महाकाव्य प्रो० सत्यव्रत तृषित १४ नरमणिमण्डितभालस्थल यु. प्र० श्रीजिनचन्द्रसूरि चरितम् उ० लब्धिमुनिजी १५ दादाजी स्वामो सुरजनदास १६ महोपाध्याय जयसागर अगरचन्द नाहटा १७ श्रीगुणरत्नमणि को तर्कतरङ्गिणी डा० जितेन्द्र जेटली १८ जोइसहीर-महत्वपूर्ण खरतरगच्छोय ज्योतिष ग्रन्थ पं. भगवानदास जैन १६ महोपाध्याय समयसुन्दरजी के साहित्य में लोकिकतत्त्व डा० मनाहर शर्मा २० गहूंली संग्रह (४) आ० बुद्धिसागरसूरिजी २१ महाकवि जिनहर्षः मूल्याङ्कन और सन्देश डा० ईश्वरानन्दजी २२ पूज्य श्रीमद्देवचन्द्रजी के साहित्य में से सुधा बिन्दु स्वामी ऋषभदासजी २३ खरतरगच्छ की क्रान्तिकारो और अध्यात्मिक परम्परा भंवरलाल नाहटा २४ उ० क्षमाकल्याणजी और उनका साधुसमुदाय अगरचन्द नाहटा २५ सुविहिलाग्रणी गणाधीश सुखसागरजी अगरचन्द नाहटा ११६ १२६ १२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 300