Book Title: Man Sthirikaran Prakaranam
Author(s): Vairagyarativijay, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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मन:स्थिरीकरणप्रकरणम्
गाथा
क्रम
पूर्वार्ध/उत्तरार्ध
पूर्वार्ध/उत्तरार्ध
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१३८
3
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१०७
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११८ ११९
१२०
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१०८
१०६
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तइयकसाऊण तिसट्ठि १११ तत्तिय असंख तत्थ वि गुणउवओगा तरुसु चउवीस जं __४७ तरुसं विगले जोयण तह तिरिमणु देसे तहवि य पन्नवणाए ९५ ताव गुणहिँ तदुवरि ११२ तित्थ इगि तित्थं च मुत्तु तित्थनराउगसहियं १२१ तित्थाहारदुगविणा तित्थाहारदुगुज्झिय तिरिनरतेतीसयरे
९० तिरिनिरयसुरंतदुगं १४ तिरिमणु देसे अट्ठ १५६ तिरिमणुनिरए
३१ तिरिमणुनिरसुरमीसे तीइगि सत्तं सदुगं तुरिओ तेसु वि तुरियमिगपासबद्धं ते करणे अपज्जत्ता तेणेह वि न विसेसो तेतिसयरे निरसुर तो गिहअंके दितो तो पज्जतिअभावा थीणतिगित्थीतिरितिग दस इगवीस बिचत्ता ७३ दसमे तणुलोभुदओ दससमसहस्स लहुयं ३४ दिणमेग वाससहसो दुगतिगचउपण मुत्तुं १३८ दुसु पंचसु एक्कक्के १५९ देवा पुमित्थिवेया
गाथा
क्रम देवे समचउरंसं दो विगलमणे न य ते लद्धिअपज्जा ११ न य बंधो न य उदओ १६४ नणु कह उरलनिसेहो नणु जे वेयइ से नणु साणगुणे नणु हेऊ उदियच्चिय नपुमिच्छायवहुंछेइ नमिऊण वद्धमाणं नरएसु धणुसहस्सं
७० नरयतिगूणा
१०४ नरि घाइसुं अंतमुहू ८६ नरि पणवि कम्मोरल २५ नरि बारस केवलदुगमणू २२ नरि सत्त वि भूद(गग्गि) १२२ नरि हेउ पणपन्ना १४४ नव य कसाया
१३० नवमसे जो नियडी १६० नवमगुणे बंधुदया १५८ नवहियसयमह साणा १०५ नाणं पंचविहं तह नाणस्स दंसणस्स य नाभुवरि नाभिअहो नामे इगि सत्तंसं नारयसुरा जहन्नं नारायमद्धनाराय नियट्टिअनियट्टि नियनियपज्जत्तिअंत नियनियपज्जत्तीणं निरए पंचधणुस्सय निरए मिच्छे साणे निरयसुराउविउव्वि १०३ निरयाइ आगइ
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१४०
१०२
१६२
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