Book Title: Man Sthirikaran Prakaranam
Author(s): Vairagyarativijay, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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परिशिष्ट-७
आ.श्रीमहेन्द्रसिंहसूरिरचितः
आयुःसङ्ग्रहः॥
सिद्धी कम्माभावे, सो भ(त)वसा तत्थवी वरं झाणं। तंपि य संपइ धम्म, तत्तवियारो तहिं सारो।।१।। तस्साइम जियतत्तं, तस्सवि आउं समग्गगुणठाणं। ते चउगइ जियआउं, लहुयं गरुयं पि इह भणिमो।।२।। जीवा पज्जअपज्जा, नियनियपज्जत्तिं अंतगा पज्जा। करणेण य लद्धीय य, अपज्ज पुण होंति छविहा ऊ।।३।। नियनियपज्जत्तीणं, अंतं एहिंति न पुण ता पत्ता। ते करणे अपज्जत्ता, जे उण नियनियपज्जत्तीणं।।४।। अंतं न जंति अंतर, मरंति ते हंति लद्धिअपजत्ता। सव्वत्थाउवियारे अपज्जंते जे उ लद्धीए।।५।। तिरिनरसंखाऊया, लद्धिकरणेहिं होंति अपज्जत्ता। सुरनिरयमिहुणतिरिनर, करणेणं चेव अपज्जत्ता।।६।। सुहमियरभूदगागणिपवणनिगोया(१०) पिहत्तरू विगला (३)। समुच्छिम तह गब्भा, जलथलनहउरभुयाचारी।।७।। इय थिरि----पिहं, अपज्जपज्जत्तणेण अडचत्ता। सव्वेसिमपज्जाणं२४ दुविहं पिय आउ[आंतमुहू।।८।। पज्जाण वि सव्वेसिं२४, जहन्नमतोमुत्तमह गरुयं। पंचसु मुहु ----- कनिगोए य अंतमुहू।।९।। बायरधराइ बावीस, सत्तस तिमह सतिदिण समसहसा। तिन्निदसविगलबारस, समदिणगुणपन्न छम्मासा।।१०।। जलथलउरभुयपक्खिसु, मुच्छेसुं पुव्वकोडिसमसहसा। चुलसीइ २ तेवन्न ३ बिचत्त ४ बासयरि जहसंखं।।११।। एएसु गब्भएसुं, परमाउं पुव्वकोडि १ पल्लतिगं२। पुवकोंडि पुवकोंडि, ४ पल्लस्स असंखभागं च ५।।१२।। रयणा १ सुद्धा २ वालुय ३ मणसिल ४ सक्कर ५ खरासु पुढवीसु ६। इग १ बार २ चउद ३ सोलस ४ ठारस ५ बावीस ३ समसहसा।।१३।। नरखित्ति कम्मभूमिसु, नगराई चक्किमाइ सिबिराहो। पुन्नक्खया सम्मुच्छइ जहन्न अंगुल असंखसो।।१४।। उक्कोस बारजोयण, दीहा पिहुलत्त तयणुरूवेण। उरुसप्पुमिच्छतिरए, अंतमुहू दुहवि आसाली।।१५।। भोगभूवि नेव विगला, तिरिया चउपाय पक्खिणो मिहुणा सीहाइ जुगलसोम्मा, अजुगलसोम्मा जलोरभुया।।१६।। चउपय १ पक्खी २ मिहुणा, ते तिह भरहाइ खित्तदसगंमि१। अंतरदीवेसु तहा २ अकम्मभूमिसु तीसाए।।१७।। समयहियपुव्वकोडीपभिई कालक्कमेण तावतु। जा पल्ल असंखसो, भरहाइसु आउ पक्खीण।।१८।। परमाउ जया जं जं, तेसिं लहुमवि तमेव किंचूण। एवं चउप्पयाण वि, नवरं तेसिं तिपल्लंत।।१९।। अंतरदीविग चउपयपक्खीणमकम्मभूमिपक्खीणं। पल्लस्स असंखंसो, गुरुयं लहुयं तु किंचूणो।।२०।। हेमवएरन्नेसुं, हरिवासे रम्मएसु १० कुरुसु १० कमा। इगदुतिपल्ला चउपय गुरुलहु तमसंखभागूणं।।२१।। मिहुणचउप्पयपक्खिसु, गब्भअपज्जा य तहय मुच्छा य। हुंती तेसिं आउं, दुविहं पि य होइ अंतमुहू।।२२।।इति तिरयगइ।। भरहाइ १० विदेहं ५ तर ५६ अकम्मभूमी ३० भवा नरा चउहा। पढमे मिहुणअमिहुणा १, विदेह अमिहुण २ दुगे मिहुणा।।२३।। जा पुव्वकोडि आऊ, वा संखमसंखयं तु तेण परं। अमिहुण संखाऊया, मिहुणा सव्वे असंखाऊ।।२४।। संखाउनरा तिविहा, गब्भे पजियर २ मुच्छिम अपज्जा। तहिं मुच्छिमसब्भावा, चलिएK मणुयऽमणुयवयवेसुं।।२५।। उच्चारवमणपसवणपिसियाइसु तह पुमित्थिसंजोगे। मुच्छहिं नरिगदुगाई, जहन्नमुक्कोसउ असंखा।।२६।। सइ संभवंमि एवं, ते पुण लोए न लब्भहिं सयावि। जं मुच्छनरंतरमवि, चउवीसमुहुत्त गुरु अत्थि।।२७।। उडुकाले पुणअहिया, गब्भय एगाय जाव नवलक्खा। तहि पज्जा एगाई, जा बतीसं अपज्जीयरे।।२८।।
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