Book Title: Man Sthirikaran Prakaranam
Author(s): Vairagyarativijay, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 155
________________ १०६ मन:स्थिरीकरणप्रकरणम् उद्धरण गा.क्र. स्थल कतो तेइंदियाणं भंते! जीवा नाणावरणि ७७ प्रज्ञापना पद-२३, सूत्र-१७२१ श्यामाचार्य तेणं जीवा कइगइया ३८ जीवाभिगम प्र.१, सू.१५ सुधर्मास्वामी तेयससमुग्धाएणं समोहन्नइ १२३ तेसि णं जीवाणं सरीरा किं संघयणा ६१ जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-३२,४२ सुधर्मास्वामी तेसि णं भंते! जीवा णं कइसंघयणा ६१ जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-१३ सुधर्मास्वामी तेसि णं भंते! जीवा णं सरीरा ६१ जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-१३ सुधर्मास्वामी तेसि णं भंते! जीवाणं सरीरा किं ६५ जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-३२ सुधर्मास्वामी तेसि णं भंते! जीवाणं सरीरा किं जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-१३,१४ सुधर्मास्वामी तो जत्थ समाहाणं ध्यानशतक-३७ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण तो देसकालचिट्ठानियमो ध्यानशतक-३५, ४१ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण तो बायरवायमगणी-आऊ लघुसङ्ग्रहणी-२९४ थिबुगसंठिया पन्नत्ता जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-१६,१७ सुधर्मास्वामी थिरकयजोगाणं ३ ध्यानशतक-३६ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण दसण चउविग्यावरण ७६ सूक्ष्मार्थसारोद्धार-६४ दण्डः प्रथमे समये कपाटमथ चोत्तरे १२३ प्रशमरतिः-२७३ उमास्वातिम. दस-वीस-तीस-चत्ता-सरि सुलद्धे ७६ (स्वयं) दसिगासिगविगलमणा सत्तं ७६ (स्वयं) दुगईया दुआगइयत्ति ३८ जीवाभिगम प्र.१, सू.२८,२९,३० सुधर्मास्वामी देवाण नारयाण य दव्वलेसा २७ त्रैलोक्यदी.(बृहत्सं.)-४०५, जीवसमासः-७४ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण देसूण-पुव्वकोडी विचारसप्ततिका-७६ महेन्द्रसूरि- अञ्चलगच्छीय(स्वयं) देहादन्नो मुत्तो निच्चो दो दिट्ठी दो दसणा २३ जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-३५ सुधर्मास्वामी दोमासा अद्धद्वं संजलणतिगे ७६ सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धार-७४,कर्मप्रकृति-७७ धम्मो मंगलमुक्किट्ठ १७ दशवैकालिक नियुक्ति-१.१ भद्रबाहूसूरि न कसायसमुच्छेहिं बाहिजइ १६८ ध्यानशतकम् -१०३, संबोधप्रकरणम् -१४१७ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण नग्गोह-रिसह-वारा हालिदं विलय ७६ (स्वयं) नपुंसकवेयगा छपज्जत्तीओ ३१ जीवाभिगम प्र.१, सू.३२ सुधर्मास्वामी नरयसुरसुहम विगलत्तिगाणि नवरं थियुगसंठिया पन्नत्ता ३८ जीवाभिगम प्र.१, सू.१६ नाऊण वेयणिजं अइबहुयं आउयं १२४ १७ ७६ (स्वयं) सुधर्मास्वामी

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