Book Title: Man Sthirikaran Prakaranam
Author(s): Vairagyarativijay, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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मन:स्थिरीकरणप्रकरणम्
उद्धरण
गा.क्र.
स्थल
कतो
सव्वेसिं वा उत्तरवैक्रिय सव्वोवसमो मोहस्सेव
१७ षडशीतिकचूर्णी १५ कर्मप्रकृति-३१५,शतकनामा
स्वो.टी.-गा.-९८ ७७ प्रज्ञापना पद-२३, सूत्र-१७१५ २५ गाथासहस्री-१२१, सङ्ग्रहशतकम्-७१
पंचमकर्मग्रन्थः-पत्र१३१, शिवशर्मसू. श्यामाचार्य
(स्वयं)
१६ षडशीतिनामा नव्यः चतुर्थ कर्मग्रंथः-४९ ३४ प्रज्ञापना पद-६, सू.६८१ १६८ ध्यानशतकम्-१०४,
श्यामाचार्य संबोधप्रकरणम्-१४१८ जिनभद्रगणि
देववाचकग.
१५ ६१
नन्दीसूत्र, पत्र-१२५, कर्मग्रन्थः पृ.६८ सार्द्धशतक
(स्वयं)
सागरोवमपणुवीसाए तिन्निसत्त सामग्गिअभावाउ सायं छप्पं नारा सोलसिगं सासणभावे नाणं सिय त्तिभागे सिय सीयायवाईएहिं य सारीरेहिं य क्षमाश्रमण सुट्ठवि मेहसमुदए सुत्ती सत्तिविसेसा संघयणमि सुरनिरयमिहुणवज्जा जीवा सूत्रोक्तस्यैकस्या से तं सणप्फया जे यावन्ने से तं सुसुमारा जे यावन्ने सेसे सए इगारे वेउव्विक्कारसे सोलस अटेक्किक्क छिक्केक्के सोलसिसिगविगलमणा अडपणतीसं सोवक्कमाउया पुण सेसा हयगब्भसंखवत्ता जोणि हुंडसंठिया हुंताई जहन्नेणं
प्रज्ञापना पद-१, सूत्र-७४
श्यामाचार्य ४५ प्रज्ञापना पद-१, सूत्र-६७/६८ श्यामाचार्य ७६
(स्वयं) १५८ कर्मस्तवाख्यः द्वितीय प्राचीनकर्मग्रन्थः-७ ७६
(स्वयं) ३४ बृहत्सङ्ग्रहणी-३२८ ४२ बृहत्सङ्ग्रहणी-३२८
जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-२८,३५
सुधर्मास्वामी
६५
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