Book Title: Mahavira ka Sarvodaya Tirth Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 6
________________ महावीरका सर्वोदयतीर्थ शुद्धि-शक्तिकी पराकाष्टा को अतुलित प्रशान्ति के साथ । या, सत्तीर्थं प्रवृत्त किया जिन, नम्र वीरप्रभु साञ्जलि माथ ॥ - भगवान महावीर जैनियोंके अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीर विहार देशान्तगत वैशाली जनपदके उपनगर कुण्डपुर के गणतन्त्र राजा 'सिद्धार्थ' के पुत्र थे और माता 'प्रियकारिणी' के गर्भ से उत्पन्न हुए थे, जिसका दूसरा नाम 'त्रिशला' भी था और जो वैशालीके राजा 'चेटक ' की सुपुत्री थी। आपके शुभ जन्मसे चैत्र शुक्ला त्रयोदशीकी तिथि पवित्र हुई और उसे महान् उत्सवोंके लिये पर्वका सा गौरव प्राप्त हुआ । इस तिथिको जन्म समय उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र था, जिसे कहीं कहीं 'हस्तोत्तरा' नामसे भी उल्लेखित किया गया है, और सौम्य ग्रह अपने उन्मस्थान पर स्थित थे; जैसा कि विक्रमकी छठी शताब्दीके विद्वान श्रीपूव्यशदाचार्य के निम्न वाक्यसे प्रकट है: चैत्र - सितपक्ष - फाल्गुनि शशांकयोगे दिने त्रयोदश्याम् । जज्ञे स्वोच्चस्थेषु ग्रहेषु सौम्येषु शुभलग्ने ||५|| निर्वारणभक्तिPage Navigation
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