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गाहस्थ जीवन ।
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२०. गार्हस्थ जीवन । भारतवर्ष के किसी प्राचीन पुरुषके गार्हस्थ जीवनके संबंधर्म कुछ पता लगाना बड़ा ही कठिन काम है। विशेषतः जबसे मुसल्मानोंका आगमन इस देशमें हुआ है तबसे यह कठिनाई और भी बढ़ गयी है। एक तो साहित्यमात्रकी अनवतिके साथ इतिहास लिखनेकी प्रथा ही उठ गयी%B
और दूसरे, पर्देकी रीतिके प्रचलित होजानेसे अन्तःपुरकी बातोका नाम लेना ही एक प्रकारसे दूषित होगया । लड़ा. इयों, सन्धियों और राज्यविप्लवोंका वर्णन तो मिलता भी है। परन्तु साधारण बातोंका कोई कथन नहीं मिलता।
इसी कठिनाई के कारण हमको छत्रसालके गार्हस्थ जीवनके विषयमें बहुत ही कम ज्ञान है। इनके संबंध और जो बातें हमको शात हैं उनसे ऐसा प्रतीत होता है कि इनका व्यवहार स्त्री-पुरुषों के साथ सदैव शीलयुक्त रहा होगा। बहुविवाह करना उस समय दूषित न था। विशेषतः राजाओंके लिये तो यह एक साधारण बात थी और ये विवाह बहुधा राजनीतिक कारणोंसे,किये जाते थे। महाराज छत्रसालको भी १६ रानियाँ थीं और इनके अतिरिक्त कई उपरानियाँ ( या दासियां) था, जिनमें मुख्य वही मुश्तरो नामक वेश्या थी जो अनवर खाँको छोड़ कर इनके पास चली आयी थी।
इन रानियों में परस्पर कैसा भाव था, इसका भी कोई पता नहीं मिलता । परन्तु जहाँतक प्रतीत होता है, ऊपरसे कोई वैमनस्य न रहा होगा, चाहे भीतरसे उस द्वेषका प्रभाव न रहा हो जो सपत्नियों में स्वभावतः प्रायः पाया जाता है।
इन रानियों और उपरानियोंसे इनको ५२ (६८१ ) पुत्र
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