Book Title: Maharaj Chatrasal
Author(s): Sampurnanand
Publisher: Granth Prakashak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 134
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट । परिशिष्ट । नीचे संक्षेपमें उन प्रधान राज्योंका वृत्तान्त दिया जाता है जो छत्रसालके राज्यसे टूट कर निकले । १२३ पन्ना । जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है, महाराज छत्रलालने मऊ राज्य अपने लड़के हृदयसाहको दिया । इन्हींके वंशजोंने पीछेसे पनाको राजधानी बनाया और अभीतक वहाँ राज्य करते चले आते हैं । राज्यका क्षेत्रफल लगभग सात सौ वर्गमील है और लगभग सात या आठ लाख के वार्षिक श्राय है । छत्रपूर । यह नगर जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है, महाराज छत्रसालका बसाया हुआ है । पहिले यह राज्य सोने शाह पँवारको पन्नासे जागीर में मिला था। परन्तु संवत् १८६३ (सन् १८०६ ) - में स्वतन्त्र राज्य हो गया । अब भी इन्हींके वंशजोंके अधिकारमें है । जैतपुरा । ऊपर के लेखसे विदित होगा कि यह राज्य महाराज छत्रसाल ने अपने पुत्र जगतराजको दिया था | अन्तिम जैतपुरा-नरेश महाराज परीक्षित ( पारी छत ? ) सरकार अँग्रेजके विद्रोही होगये । इसलिये राज्य अँग्रेजी शासनमें ले लिया गया । For Private And Personal चरखारी । यह राज्य जैतपुराके महाराज जगतराजके पुत्र दीवान कीरतसिंहके वंशजों के पास है । ये कीरतसिंह उन रानी अमर

Loading...

Page Navigation
1 ... 132 133 134 135 136 137 138 139 140