Book Title: Maharaj Chatrasal
Author(s): Sampurnanand
Publisher: Granth Prakashak Samiti

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Page 135
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir महाराज छत्रसाल। कुँवरीके पुत्र थे जो नव्वाब बंगशसे लड़ी थीं । जगतराजजी इनको ही जैतपुराका राज्य देना चाहते थे । परन्तु उनकी मृत्यु होनेपर जैतपुरा उनके पुत्र पहाड़सिंहके हाथ आ गया । कीरतसिंहका तो उस समय देहान्त होगया था परन्तु उनके पुत्र खुमानसिंह अपनी पैतृक सम्पत्तिके लिये लड़ते रहे । अन्तमें उनको शान्त करने के लिये पहाड़सिंहने यह राज्य उनको दिया। अजयगढ । यह राज्य भी दीवान कीरतसिंहजीके ही वंशजोंके अधिकारमें है और देशमें शान्ति फैलाने के लिये उनके पुत्र गुमान सिंहजीको पहाड़सिंहने दिया था। बिजावर । यह राज्य महाराज जगतराजके पुत्र बीरसिंहजीके वंशजोंके अधिकारमें था । पहिले इनको राज्य जागीरके रूपसे मिला था परन्तु इन्होंने उसे धीरे धीरे स्वतंत्र कर लिया। प्राजकलके बिजावर-नरेश महाराजा ओरछाके पुत्र हैं और इनको बिजावरके महाराज भानुप्रतापने सन्तानहीन होनेके कारण गोद लिया था। सरीला। यह राज्य जैतपुराके महाराज पहाड़सिंहके द्वितीय पुत्र अमानसिंहजीके वंशजोंके अधिकारमें है। कुछ दिनतक बाँदाके नव्वाबोंका इसपर भाधिपत्य होगया था परन्तु पीछे से यह फिर स्वतंत्र हो गया। For Private And Personal

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