Book Title: Lingnirnayo Granth
Author(s): Kalaprabhsagar
Publisher: Arya Jay Kalyan Kendra
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________________ पंक्ति Bon or oran rrrrrrrn vur ur w ur 1 1 1 1 1 1 1v vd MMMMMM. ~ ~ ~ ~ ~ 4ddr00 00 लिंगनिर्णय शुद्धिपत्रक अशुद्ध मतःसजन्तून् भजतेसमुद्र // 2 // अन्योभय सामान्य जिन निलोत्पलं ऽमीपुसिकीर्तिताः साधुमुनिस्तु तवद्वतिषु स्मृताः यथोक्त लिङ्ग. इतिप्रथम सन्दिग्ध लिङ्ग. विख्य ताः पुमान भेदता नपुंसकरिताः महापादयः कुत्रचित बाह्याद्या शंखोऽपांच० ऽङ्गः न्मतः स जन्तून् भजते समुद्रः // 2 // अन्योन्योभय सामान्यजिनक - नीलोत्पलं ऽमी पुंसि कीर्तिताः साधुर्मुनिस्तु तद्वति संस्मृताः यथोक्तलिङ्ग इति प्रथम सन्दिग्धलिङ्ग विख्याताः , पुमान् भिन्नता नपुंसके मताः महापद्मादयः कुत्रचित् ब्राहयाद्या शंखोऽस्यपांच S इह वाचस्पतिः पुनः निषत् स्त्रियाम् वाचस्पति पुनः निषढ स्त्रियाम सम्यक क्रुतषौ वैवर्ण्य सम्यक् कुद्रुषो .वैवर्षा

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