Book Title: Lingnirnayo Granth
Author(s): Kalaprabhsagar
Publisher: Arya Jay Kalyan Kendra

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Page 37
________________ [26] पृष्ठ 32. पंक्ति 27 44 अशुद्ध समा चतुःशाली अथवा .. क्लीबयो प्परस्त्री कीत्तितः -धिमानि पुमांस्तीथो गुग्गुलगुग्गुलुः कर्तृणं द्वऽदन्तं पर्याण प्रजनो प्रसरो चर्करादयः पुल्लंग छुछु. स्वम्बुधैः कीत्तिताः भुवः छिद्रे अन्तकरणप्रमादछंदौ सुशीम प्रमादछंदौ प्रमुखा स्वादश्वपरशता आदिः आविष्ट विषूलबणः दोहको सामान्थ निदानं शुद्ध सभा चतुःशाल्यथवा क्लीबयोः प्यस्त्री. कीर्तितः धिमानी पुमांस्तीर्थोऽ गुग्गुलो गुग्गुलुः कतृण . द्वेऽदन्तं पर्याणं प्रजनः प्रसरः वर्करादयः * पुल्लिंग छच्छु० स्वयम्बुधैः कीर्तिताः भुवश्छिद्रे अन्तः करणप्रमादच्छंदौ . सुशीमो प्रमादच्छंदौ प्रमुखाः स्वादश्वपरश्शता० आदिराविष्ट त्रिषूल्बणः द्रोहको सामान्य निदानं

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