Book Title: Lingnirnayo Granth
Author(s): Kalaprabhsagar
Publisher: Arya Jay Kalyan Kendra

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Page 93
________________ पुनपुंसकलिंगेऽमी साल-कर्पास-तूलकाः / नीपादयो नरे ख्याता वासा स्नुहिश्च योषिति // 146 // गुग्गुलर्गुग्गुलुः पीलुः पुंसि राजादनोऽस्त्रियाम् / .. ' त्रिष्विङ्गदी विडंगश्च कश्मरी-पंचक स्त्रियाम् // 17 // विडंगमास्त्रियां कश्चित् पुल्लिगे शेलुरेव च / पीतसालोऽसनश्चास्त्री पाटलिर्जाटलिईयो। // 148 टापि च पाटला नार्या पुष्पभेदे तु पाटलम् / कश्चित स्त्रीक्लीबलिंगेऽपि वर्णवति त्रिषु स्मृतः // 149 // भू|ऽस्त्रियां स्त्रियां धात्री शिवा चामलकी त्रिषु / फले चामलकोऽप्यस्त्री कलिस्क्षस्तु मानवे // 150 // त्रिषु बिभीतको भल्लातकश्चाथ हरीतकी। .... अभया त्रिफला पथ्या स्त्रियां तमालमस्त्रियाम् // 151 // निर्गुण्डि-त्रितयं नार्यामौद्रपुष्पं नपुंसके / 'जपादयः पुनर्नार्या प्रियङ्गरपि योषिति // 152 // जम्भस्तु करीरोऽप्यस्त्री धातुकी धातुपुष्पिका / कपिकच्छुरात्मगुप्ता चत्वारोऽपि खियाममी // 153 // धत्तूराद्याः मता पुंसि नालिकेरोऽपि पुस्त्रियोः / / ... ङीषन्ता लागली वर्षापाकी चाम्रातको नरे // 154 // केतकस्तिन्दुकी चापि सल्लकी तु कटी द्वयोः / इतः स-कीचकान्ताः हि वंशाद्याः पुसि कीर्तिताः // 155 // तुकाक्षीरी-त्रिक योषा क्लीबे, स्त्री वंशरोचना / ..., पूग-क्रमुक-गूवाको पुंस्युवेग नपुंसकम् // 156 // ताम्बूलवल्ली ताम्बूली नागपर्यायवल्लयपि / .. स्त्रीवलीबे तुम्न्यलाबूश्च मधुकं स्त्रीनपुंसके // 157 // : कृष्णलाद्याः स्त्रियां, पुंसि गोक्षुरस्तु त्रिकण्टकः / स्थलशृंगाटसंयुक्तः श्वदंष्ट्रायाः स्त्रियामिह // 158 // उशीर वीरणीमूले ड्रीबेरे बालकं पुनः / / कुसम्भमस्त्रियामेते. प्रपुन्नाटादयो नरि // 159 // ... : लट्वा स्त्रियां नरे लोध्रो गालवप्रमुखा इह। . नार्या मृणाणिनी चैव तथा पुटकिनी त्रिकम् // 16 //

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