Book Title: Kya Dharm Me Himsa Doshavah Hai
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 5
________________ 3 SER 948 स्थानकवासी सन्तों आदि की करणी एवं कथनी में । अन्तर क्यों और कैसा? 38599355280558 880x 0000mmoom 3892233356001 8888888888 (नोट : स्थानकवासी सन्त चाहे आ. श्री हस्तीमलजी हो या आ. श्री नानालालजी हो अथवा आ. श्री देवेन्द्रमुनि जी हो या आ. श्री समरथमल जी हो, चाहे कोई भी हो, जहाँ जिन मन्दिर, जिन प्रतिमा-मूर्ति की बात आती है, असत्य ही लिखते हैं। वे सत्य तथ्य इतिहास को भी पलट देते हैं और आगमवचन को भी उलटा-सीधा कहते हैं। सगर चक्रवर्ती के 60 हजार पुत्रों की तीर्थ रक्षा में मौत, लब्धि-निधान श्री गौतम स्वामी का अष्टापद गिरि पर जाना, अभयकुमार का आर्द्रकुमार को जिन-मूर्ति की भेंट भिजवाना, श्री शय्यंभवसूरिजी का दृष्टांत, सम्प्रतिराजा की जिन शासन प्रभावना, उदायन राजा का चंडप्रयोत के साथ जिनमूर्ति के लिए युद्ध होना, इत्यादि-इत्यादि अनेक सुप्रसिद्ध बातों को स्थानकवासी सन्त आदि असत्य ही लिखते हैं। असत्यभाषी सम्यग्दृष्टि नहीं होता, मिश्यादृष्टि होता है, ऐसाशास्त्र वचन है। ब्यावर (जिला अजमेर, राज.) से प्रकाशित होने वाला स्थानकवासी मासिक पत्र 'सम्यग्दर्शन' के सम्पादक श्री नेमिचन्दजी बांठिया ने जिन-मंदिर एवं जिनमूर्ति के विषय में बहुत कुछ असत्य बातें लिखी हैं। 5 अक्टूबर, 1995 से (1)

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