Book Title: Kya Dharm Me Himsa Doshavah Hai
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 29
________________ पर भरत राजा ने भगवान का मन्दिर-स्मारक बनवाया था। इस तीर्थ की यात्रा लब्धि-निधान गौतम स्वामी ने किया था और वहां तप कर रहे 1503 तापसों को खीर से पारणा करवाया था। श्री भगवती सूत्र का यह उल्लेख जिन शासन में सुप्रसिद्ध है। 2. वर्तमान तीर्थंकरों के निर्वाण स्थल पावापुरी, सम्मेतशिखर, चम्पापुरी, गिरनार आदि पर तीर्थंकरों के पावन स्मारक रूप जिन मन्दिर बने हैं, यह आगमिक तथ्य का साक्ष्य इतिहास भी है। _3. श्री स्थानांग सूत्र में 10 प्रकार के सत्यों का निरूपण है, उसमें से एक स्थापना नाम का सत्य है। इस 'स्थापना सत्य' के आधार पर ही आज अधिकांश स्थानकवासी सन्त अपने गुरुजनों के समाधि मन्दिर, पगल्या, मूर्ति आदि निर्माण करवा रहे हैं। फिर तीर्थंकर की मूर्ति और मन्दिर का ही विरोध क्यों? यह भी आगम सिद्ध स्थापना सत्य है। ___4. श्री भगवती सूत्र में चारणमुनियों का नन्दीश्वर द्वीप में तीर्थयात्रा करने जाना बताया है। यह पाठ है "तहिं चेइयाई वंदइ" अर्थात वहां जिनमंदिर और जिनमूर्ति को वन्दन करते हैं। और फिर वापस लौटकर यहां के स्थापना जिन के आगे चैत्यवन्दन करते है। यह पाठ है-"इह चेइयाई वंदइ।" इस विषय में सम्पादक श्री नेमिचन्द जी बांठिया असत्यपूर्ण बात लिखते हैं। वे लिखते हैं कि “विद्याधारी मुनि की विचारधारा चंचल होती है और वे नन्दनवन के बगीचा की शोभा देखने सेर सपाटा करने वहां जाते हैं।" ऐसी ही असत्य बात 'रतनलाल डोसी सैलाना वालों ने पूर्व में लिखी थी। पर ये दोनों की बात असत्य हैं। एक सामान्य मुनि को भी बगीचा आदि की शोभा देखने जाना निषिद्ध है, अकर्तव्य है। ऐसे मुनि संयमी नहीं कहलाते। फिर चारणमुनि जैसे विद्याधर मुनि यदि (25)

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