Book Title: Kya Dharm Me Himsa Doshavah Hai
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 33
________________ 4. मथुरा के कंकाली टीले से प्राप्त जिनमूर्तियों की चौकी पर उटुंकित लेखों से श्रीनन्दी सूत्र के शास्त्र पाठों की सिद्धि मिलती है। अर्थात नन्दी सूत्र में मुनियों के नाम और गुरु परम्परा आदि का उल्लेख है, इसको सत्य-तथ्य बताने वाले ये जिन मूर्तियों की चौकी पर उटुंकित लेख हैं। इससे भी मूर्ति-पूजा की सिद्धि होती है। ___5. मूर्ति-पूजा के समर्थन में सबसे प्रबल प्रत्यक्ष प्रमाण हैस्थानकवासी सन्त अपने गुरुओं के समाधिमन्दिर, पगल्या, चौतरा, छत्री आदि स्मारक बनवाते हैं, जहां परिक्रमा दी जाती है, जापध्यान किये जाते हैं, कहीं-कहीं धूप भी होता है। यदि मूर्ति व मन्दिर तथ्यहीन और अनागमिक होते, तो फिर जिनका वे विरोध करते हैं उसी का ही निर्माण कर समर्थन क्यों कर रहे हैं? ___ स्थानकवासी पन्थ को बेबुनियाद, अनागमिक और उन्मार्गगामी जानकर ही स्थानकवासी सत्यप्रिय श्री मेघऋषिजी आदि 30 सन्तों ने सन्मार्गनाशक स्थानकवासी परम्परा को त्यागकर जगद्गुरु पूज्य श्री हीरसूरीश्वरजी म. के पास सच्ची सम्वेगी दीक्षा को स्वीकार किया था। बाद में बटेरायजीमहाराज ने भी असत्यमय स्थानक पन्थ का त्याग किया था। पंजाब के परम सत्यप्रिय श्री आत्मारामजी महाराज ने अपने 17 शिष्यों के साथ मन्दिर मार्गी सम्वेगी दीक्षा को स्वीकार किया था। मारवाड़ के श्री गजवरमुनि ने भी असत्यपूर्ण स्थानक पन्थ का त्याग किया। __ स्थानकवासी सन्त-सतियों को एवं पीतलियाजी, बांठियाजी, कटारियाजी, मनमोहनजी आदि को यदि दुर्गति का थोड़ा-सा भी डर-भय है, असत्य का थोड़ा-सा भी डर है, दिल में उत्सूत्र भाषण का खटका है, तो उन्हें तथ्यहीन, असार, अनागमिक, असत्यपूर्ण स्थानक पन्थ का त्याग कर देना चाहिए और अपनी आत्मा को घोर दुर्गति से बचा लेना चाहिए। इसमें ही उनका आत्मकल्याण है। (29)

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