Book Title: Kya Dharm Me Himsa Doshavah Hai
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 27
________________ सज्जनों को हमारी नम विनती है कि यदि वे अपनी आत्मा का कल्याण चाहते हैं वो लोकाशाह कथित उन्मार्ग का त्याग कर दें। और जिन-मन्दिर, जिनमूर्ति, जिन-पूजा एवं तीर्थ यात्रा के समर्थन करने वाले 1444 ग्रंथों के रचयिता परम सत्यप्रिय आ. श्री हरिभद्रसूरिजी, भक्तामरस्तोत्र के रचयिता आ. श्री मानतुंगसूरिजी, तत्तार्थ सूत्र के रचयिता आ. श्री उमास्वाति म., कल्याण मन्दिर स्तोत्र के रचयिता आ. श्री सिद्धसेनसूरिजी, आगम शास्त्रों को ताड़ पत्रों पर, लिखवाने वाले पू. श्री देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण, समर्थज्ञानीनवांगीटीकाकार अभयदेवसूरिजी, आचार्य श्रीशिलांगाचार्य,समर्थवादी श्रीदेवसरिजी, कलिकाल सर्वज्ञ आ. श्री हेमचन्द्रसूरिजी, अकबर प्रतिबोधक जगद्गुरु पू. आ. हीरसूरिजी इत्यादिधुरन्धर विद्वान, समर्थज्ञानी, परम सत्यवादी, सन्मार्गदर्शक, मूर्ति पूजा समर्थक आचार्यों की शरण में आ जाना चाहिए। 卐卐 * (23)

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