Book Title: Kya Dharm Me Himsa Doshavah Hai
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 11
________________ किन्तु ये तो स्थानक बनवाने वालों का मान-सम्मान करते हैं, क्यों? (3) स्थानकवासी सन्तों की दीक्षा, जन्म-जयन्तियाँ, चद्दरमहोत्सव आदि में साधर्मिक वात्सल्य, संघ-भोजन, मेहमानों के लिए चौका-रसोड़ा आदिका भी निषेध करना चाहिए। क्योंकिचौका चलाने में भी त्रसकाय एवं स्थावरकाय जीवों की अपार विराधनाहिंसा होती है? हिंसक-आरम्भ-समारम्भ युक्त पाप कर्मों को क्यों करवाते हो? जिनमन्दिर निर्माण, जिन-मूर्ति-पूजा तथा तीर्थ यात्रा में हिंसा तथा आरम्भ, समारम्भ मान कर इन पवित्र क्रियाओं का निषेधविरोध करने वाले स्थानकवासी सन्त आदि का सम्मेलन बुलवाना, बारिश में व्याख्यान रखना, किताब छपवाना, बस द्वारा भक्तों को दर्शनार्थ बुलवाना, चद्दर महोत्सव करवाना, दीक्षार्थी का जुलूस निकालना आदि कार्यों का भी निषेध-विरोध करना चाहिए। उन्हें ऐसा उपदेश देना चाहिए कि 'वेसभी कार्यो में हिंसा है, इसमें आरम्भ समारम्भ का पाप होता है और जहां पापहोता है वहां धर्म नहीं होता, यह दुर्गति का रास्ता है। ये सब पापों को छोड़कर तप-संयम और सँवर की साधना में लग जाना चाहिए।' स्थानकवासी सन्तों को पापकारी, हिंसायुक्त-साधार्मिक वात्सल्य, संघ-भोजन, चौका चलाना, स्थानक बनवाना, स्मारकनिर्माण करवाना, पुस्तक छपवाना इत्यादि कार्यों का उपदेश नहीं देना चाहिए। किन्तु हिंसामय होते हुए भी इन कार्यों का वे उपदेश देते ही हैं, फिर तो उनको शादी करने का, व्यापार करने का, हिल स्टेशन घूमने जाने का भी उपदेश देना चाहिए क्योंकि ये भी पाप कार्य हैं और पाप कार्य का उपदेश तो वे देते ही हैं। क्या कारण है कि आश्रव, हेय, आरम्भ-समारम्भ युक्त, हिंसामय पाप कार्य मानते हुए भी स्थानकवासी सन्त उपाश्रय (7)

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