Book Title: Kya Dharm Me Himsa Doshavah Hai Author(s): Bhushan Shah Publisher: Chandroday ParivarPage 16
________________ कासमाधि-मन्दिरबनाना क्या आरम्भ-समारम्भ का पाप कार्य नहीं है? क्या सारे-के-सारे स्थानकमार्गी सन्त जहर को अमृत मानने वाले हैं न? अन्धकार को प्रकाशमय बताने वाले हैं न? याद रहे कि ऐसी मूर्ति-पूजा एक दो स्थानकवासी सन्त नहीं। करीब-करीब सभी स्थानकवासीसन्त कोई-न-कोई रूप में करते ही हैं। इसलिए बांठिया जी के शब्दों में : ...... जो पर-प्राणों को लूटकर प्रभू पूजा करने का कहते हैं, वे वीतराग प्रभु की आशा के विराधक एवं कपूत बेटे के समान बहिष्कार करने योग्य हैं। ('सम्यग्दर्शन' पृ. 760, दि. 5-12-95) समीक्षा : जड़ रंगीन कपड़े के ध्वज को फहराना क्याजड़-पूजा नहीं है? मृत शरीरकोदर्शन-वंदन करने जाना क्या जड़ पूजा नहीं है? समाधि-मंदिर बनवाना क्या जड़-पूजा नहीं है? प्रायः सभीस्थानकवासीसन्त यहीकरते ही हैं। अब कहिएवेकपूत बेटे हैं कि सपूत? क्या वे बहिष्कार करने योग्य हैं या नहीं? *** हिंसा अधर्म है-फिर क्यों आप इसे करते हैं? सम्पादक श्री लिखते हैं कि-(पृ. 11 दि. 5-1-96)'....... जहां जीव हिंसा है वहां तीन काल में भी धर्म एवं आत्मकल्याण हुआ नहीं, होता नहीं और होगा नहीं, चाहे वह भगवान के नाम पर और अनन्तानन्त भक्ति के साथ ही क्यों न की जाये?......'। समीक्षा : ऐसा लिखने वाले बांठिया जी को 'सम्यग्दर्शन' की छपाई भी बन्द कर देनी चाहिए, क्योंकि छपाई में बड़ी हिंसा होती ही है। परन्तु इनकी कथनी और करणी में बहुत बड़ा अन्तर है। प्रायः सभी (12)Page Navigation
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