Book Title: Kya Dharm Me Himsa Doshavah Hai
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 24
________________ समीक्षा : ये सभी धार्मिक प्रयोजनों के लिए गयी हिंसा है औरऐसीहिंसाकीप्रशंसा-अनुमोदना कापाप 'सम्यग्दर्शन' पत्रकररहा है। यदियेसभीस्थानकवासी सज्जन 'सम्यग्दर्शन' पत्र ही बन्द कर देंवें तो छपाई की हिंसा का और हिंसा की अनुमोदना करने कासभी क्लेशपाप ही टल जायेगा। क्या संपादक श्री 'सम्यग्दर्शन' पत्रिका छापना बन्द कर देंगे? क्या वे लोगों के पैसे बर्बाद करने का कार्य बन्द कर देंगे? मुखवस्त्रिका निर्णय मुखवस्त्रिका के विषय में 'सम्यग्दर्शन' में जिज्ञासा और समाधान विभाग में (पृ. 171, दि. 5-3-96) लिखा है कि "................ तीर्थंकर भगवान देशना देते हैं उस समय मुखवस्त्रिका नहीं होती, पर उस समय वे पूर्ण यतना रखते हैं, जिससे छहकाय जीवों की विराधना नहीं होती है।............' समीक्षा: 'खुले मुंह बोलने पर भीजीव हिंसा नहीं होती है, यह कैसे? 'भगवान पूर्णयतना किस प्रकार रखते हैं ? नाक से भीगरम श्वांस निकलती है, इससे भी हिंसा होती है, फिरस्थानकवासीसंत नाक पर भी मुंहपत्तीक्यों नहीं बांधते हैं? जिस प्रकार ऑपरेशन के वक्त डॉक्टर अपने मुँह को नाक सहित बाँधते है या जिन पूजा करते वक्त आशातना से बचने के लिए हम मूर्ति-पूजक अपने मुँह कोनाक सहित बांधते हैं, उसी प्रकारजीव-हिंसासे बचने के लिए स्थानकवासीसंता को अपने मुँह के साथ नाक सहित बांधते हैं, उसी प्रकारजीव-हिंसासे बचने के लियेस्थानकवासीसंतों को अपने मुँह के साथ नाक पर भी मुखवस्त्रिका (20)

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