Book Title: Kya Dharm Me Himsa Doshavah Hai
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 12
________________ स्थानक - निर्माण, पुस्तक छपाई, गुरु मंदिर निर्माण, साधर्मिक भोजन इत्यादि कार्यों का उपदेश देते हैं, इसी प्रकार वे शादी करने का, व्यापार करने का, हिल स्टेशन घूमने का इत्यादि उपदेश क्यों नहीं देते हैं? क्योंकि स्थानक मत से तो इन दोनों कार्यों में हिंसा, अधर्म समान रूप से है । हमारे मत में तो स्थानकवासी सन्तों को एकमात्र जिन - मन्दिर, जिन - मूर्ति और जिन-पूजा से ही वैर-विरोध है ? इसलिए उनको इस पवित्र धर्म में भी हिंसा, आरम्भ-समारम्भ दिखाई देता है, जब कि स्थानक बनवाना, गुरु-मन्दिर निर्माण करवाना, शास्त्र छपाई करवाना, सम्मेलन बुलवाना, संघ- भोजन करवाना, गाय को घास खिलाना, कबूतर को चुग्गा डालना इत्यादि प्रवृत्तियों में हिंसा, आरम्भ-समारम्भ होते हुए भी इन कार्यों में उन्हें हिंसा, आरम्भसमारम्भ-जीव - विराधना नहीं दिखाई देती है । 'सम्यग्दर्शन' पत्रिका में तीर्थंकर की फोटो क्यों नहीं? - - स्थानकवासी सन्त स्वयं की फोटो छपवाते बँटवाते हैं। अपनी किताब में 24 लांछनों, 14 स्वप्नों, अष्ट- मंगल आदि के चित्र छपवाते हैं । फिर तीर्थंकर के फोटो - चित्र का ही विरोध क्यों ? 'सम्यग्दर्शन' पत्रिका (पृ. 8, दि. 12-5-96 ) पर श्री रतनलालजी डोसी की प्रतिकृति छपी है। दानदाता की या स्वर्गस्थ किसी व्यक्ति की फोटो उसमें छपनी हैं। यदि कोई पत्रिका को 200 ) - 500) रु. देता है, तो उनकी रंगीन तस्वीर- प्रतिकृति भी वे सम्पादक श्री छाप सकते हैं। फिर तीर्थंकर परमात्माओं की तस्वीर- फोटो से ही इन्कार क्यों? फिर सम्पादक श्री (पृ. 7, दि. 5-12-95 ) लिखते हैं कि 'सम्यग्दर्शन' पत्रिका का सम्पादन करते समय आगम आज्ञा को पूर्णतया ध्यान में रखा जाता है। हम तो जिससे सहमत हैं, उन्हें ही 'सम्यग्दर्शन' में स्थान देते हैं। (पृ. 8 ) । (8)

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