Book Title: Kulak Sangraha Author(s): Balabhai Kakalbhai Publisher: Balabhai Kakalbhai View full book textPage 2
________________ BIR - आ पुस्तक छपावी प्रसिद्ध करवामां नीचे मुजब मदद मळी छे ते तेमना उपकार साथे घणा मानपूर्वक स्वीकारवामां आवी छे. तेटली कीमतनां पुस्तको तेमनी तरफथी साधु साधवी विगेरेने भेट आपवामां आवशे. रू. ५०) सौभाग्यवंती बेन रतनबेन (शेठ. मणीभाई दलपतभाईनी पत्नी) तरफथी. रू. ५०) सौभाग्यवंती बेन मोतीबेन (शेठ. जगाभाई दलपतभाईनी पत्नी) तरफयी. रू. ५०) शेठ. दलपताई मगनभाईनी दीकरी सरस्वती बेन तरफयी. Muhuner प्रस्तावना. ___ आ नाना पुस्तकमां पूर्वाचार्य प्रणीत जूदा जूदा अगत्यना विषयो संबंधी सत्तर कुलकोनो संग्रह करवामां आव्यो छे. तेमां पहेला गुणानुराग कुलकमां दरेक साधु साधवी श्रावक श्राविका तेमज बीजा कोइ पुरुषमा जे जे सद्गुण जोवामां आवे तेने गुणदृष्टिथी ग्रहण करवा खास भ. 18 लामण करवामां आवी छे. तेना [गुणानुराग कुलकना] तथा त्रीजा संविज्ञ साधुयोग्य नियम , कुलक के जेमां 'संयमवंत' भावित आचार्यादिक महापुरुषो उत्तम वैराग्ययोगे देशकाळ अनुसारे है| जे जे आचार विचार सेवी शके तेनुं आचरण पूर्वक वर्णन करवामां आव्यु छे.आ बंने कुलकना है कर्ता श्रीमान् मुनिसुंदरसूरिजीना पूज्य गुरु महाराज श्री सोमसुंदरसूरिराज छे. हवे आवा R| चारित्र पात्र महापुरुषोनां पवित्र दर्शन करी भावना उल्लासथी जे स्तुति करवानी छे तेनुं हुंक ARASHR*Page Navigation
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