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रहती है साथ ही हमारे इतिहास का प्रतिबिम्ब भी यहां झलकता है। मंदिर में प्रवेश करने मात्र से मन को शांति मिलती है, हृदय में प्रफुल्लता जाग्रत होती है और चेतना में अध्यात्म की दिव्य ज्योति प्रज्वलित होती है। निराकार की साकार उपासना करने के लिए तो मंदिर प्रथम और अंतिम साधन है। भवासक्त प्राणी को मृत्युलोक में परमात्मा की स्मृति दिलाने के लिए तीर्थ और मंदिर आधारभूत हैं।
मंदिरों को पुरा-युग में चैत्य शब्द से भी पहचाना जाता है। चैत्यालय वास्तव में चैत्य से ही बना है। चैत्य का मूल संबन्ध चेतना से है जबकि मंदिर का मन से। चैतन्यशुद्धि एवं मनोशुद्धि के लिए हमारे तीर्थ और मंदिर आदर्श हैं।
मंदिरों में विराजमान प्रतिमाएँ हमारी श्रद्धा के केन्द्र तो हैं ही उनके नीचे उत्कीर्ण शिलालेख एक तरह से इतिहास का आईना ही है जिसमें हम अपना प्रामाणिक इतिहास देख सकते हैं। इसलिए ये मंदिर केवल पूजा या आराधना के केन्द्र ही नहीं होते अपितु हमें यहाँ सबसे प्रामाणिक इतिहास भी उपलब्ध हो जाता है।
पाषाण शिालाओं पर लिखे गए लेख ही शिलालेख कहलाते हैं। शिलालेखों का इतिहास की जानकारियाँ प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। कागज एवं ताड़पत्रों में लिखे गए लेखों की आयु सीमित होती है, अतः काफी पुरा-काल में शिलालेखों की परम्परा प्रारम्भ हो गई थी। ब्राह्मी लिपि तक के शिलालेख हमें उपलब्ध हैं। और देश के कई पर्वतमालाओं की गुफाओं में, प्राचीन मंदिरों में एवं भूगर्भ से निकलने वाली प्रतिमाओं में हमें विविध प्रकार के शिलालेख प्राप्त होते हैं।
शिलालेखों की दो तरह की परम्परा रही है। एक वे शिलालेख जिनमें मानवता के लिए कल्याणकारी, प्रेरणास्पद वचन अंकित किये जाते हैं और दूसरे तरह के शिलालेख वे होते हैं जो मूर्तियों के नीचे अथवा मंदिर के किसी भाग पर पत्थर पर अंकित किए जाते हैं। कलिंग विजय के बाद अंतरहृदय का रूपान्तरण होने पर सम्राट अशोक ने अहिंसा और मानव मूल्यों की स्थापना के लिए कई बड़े-बड़े शिलालेख तैयार करवाये थे, जिनसे हमें आज भी नैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक संदेशों की जानकारियाँ मिलती हैं। वहीं दूसरी ओर मंदिरों और मूर्तियों के नीचे अंकित शिलालेखों से हमें उस मंदिर का इतिहास तो ज्ञात होता ही है साथ ही प्रतिष्ठाकारक आचार्य, उपस्थित साधु-साध्वीवृंद एवं मंदिर और मूर्तियों के निर्माता श्रावकों का इतिहास भी ज्ञात हो जाता है। कई शिलालेखों में तो तत्कालीन राजाओं का भी उल्लेख मिलता है जो इतिहासवेत्ताओं के लिए कई संदर्भो में प्रामाणिक निर्णय के लिए मील के पत्थर साबित होते हैं।
इस तरह ये शिलालेख हमारे अतीत की वह थाती है जिनसे हमें जीवन संदेशों के साथ
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प्रस्तावना
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