Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 05
Author(s): Arunvijay
Publisher: Jain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha

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Page 13
________________ मातज्ञान क३४० भद का तालिका मतिज्ञान कर्म की गति न्यारी १ श्रुत निश्रित २ प्रश्रुत निश्रित १ प्रोत्पातिकी २ वैनयिकी ३ कार्मिकी ४ पारिणामिकी स्पर्शेन्द्रिय रसनेन्द्रिय घ्राणेन्द्रिय चक्षुरिन्द्रिय श्रोत्रेन्द्रिय मन व्यंजनावग्रह अर्थावग्रह इहा अपाय धारणा १२ १२ १२ १२ १२ अर्थावग्रह १२ इहा १२ अपाय १२ धारणा १२ व्यंजनावग्रह अर्थावग्रह इहा अपाय धारणा १२ १२ १२ १२ १२ व्यंजनावग्रह १२ अर्थावग्रह १२ .. इहा १२ अपाय धारणा १२ १२ १२ १२ २५५ प्रविग्रह इहा अपाय । धारणा व्यंजनावग्रह अर्थावग्रह इहा अपाय धारणा १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ बारह इस प्रकार है-(१) बहु, (२) अबहु, (३) बहुविध, (४) अबहुविध, (५) क्षिप्र, (६) अक्षिप्र, (७) अनिश्रित, (८) निश्रित, (९) असंदिग्ध, (१०) संदिग्ध, (११) ध्र व, (१२) अध्रुव । ५ इन्द्रियां तथा १ मन = ६, ६ के अर्थावग्रह-इहा-अपाय-धारणादि मिलाकर ६x४ = २४, +४ व्यंजनावग्रह = २८, बहु-प्रबहु आदि १२ अत: २८४१२ = ३३६ + अश्रुत निश्रित के ४ भेद बुद्धि के मिला. कर = ३४० भेद होते हैं।

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