Book Title: Kalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra
Author(s): Jinvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 8
________________ / 7 3, 22-35 ] तइओ उद्देसओ निग्गन्थाण वा निग्गन्धीण वा आहाराइणियाए किइकम्मं करेत्तए। 22. नो कप्पइ निम्गन्थाण वा निम्गन्थीण वा अन्तरागहसि आसइत्तए वा चिट्ठित्तए वा निसीइत्तए वा तुयट्टित्तए वा निदाइत्तए वा पयलाइत्तए वा; असणं वा 4 आहारमाहारेत्तए; उच्चारं वा 4 परिठ्ठवेत्तए; सज्झायं वा करेत्तए, झाणं वा झाइत्तए, काउस्सगं वा ठाणं वा ठाइत्तए / अह पुण एवं जाणेज्जा-जराजुण्णे वाहिए तवस्ती दुब्बले किलन्ते मुच्छेज्ज वा पवडेज्ज वा, एवं से कप्पइ अ-5 न्तरगिहसि आसइत्तए वा जाव ठाणं वा ठाइत्तए। 23. नो कप्पइ निम्गन्थाण वा निम्गन्थीण वा अन्तरगहसि जाव चउगाहं वा पञ्चगाहं वा आइक्खित्तए वा विभावेत्तए वा किट्टित्तए वा पवेइत्तए वा. नन्नत्व एगनाएण वा एगवागरणेण वा एगगाहाए वा एगसिलोएण वा, से वि य ठिच्चा, नो चेव णं अट्ठिच्चा / 24. नो कप्पइ निम्गन्थाण या निग्गन्थीण वा अन्तरगिहंसि इमाइं पञ्च महव्वयाइं सभावणाई आइक्खित्तए वा जाव पवेइत्तए वा, नन्नत्थ 10 एगनाएण वा जाव- एगसिलोएण वा, से वि य ठिच्चा, नो चेव णं अद्विच्चा।। 25. नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पडिहारियं सेज्जासंथारयं आयाए अपडिहट्टु संपव्वइत्तए / 26. नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निम्गन्थीण वा सागारियसन्तियं सेज्जासंथारयं आयाए अहिगरणं कटु संपव्वइत्तए।२७. कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पडिहारियं वा सागारियसन्तिय वा सेज्जासंथारयं आयाए विगरणं कटु संपव्वइत्तए। 28. इह खलु निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पडिहारिए 15 वा सागारियसन्तिए वा सेज्जासंथारए परिब्भट्ठे सिया, से य अणुगवसियव्वे सिया। से य अणुगवेसमाणे लभेजा, तस्सेव अणुप्पदायव्वे सिया; से य अणुगवेसमाणे नो लभेजा, एवं से कप्पइ दोच्चं पि ओग्गहं ओगिण्हित्ता परिहारं परिहरित्तए। ... 29. जद्दिवसंच णं समणा निम्गन्था सेज्जासंथारयं विप्पनहन्ति, तद्दिवसं च णं अवरे समणा निग्गन्था हव्वमागच्छेज्ज; सच्चेव ओम्गहस्स पुव्वाणुन्नवणा चिट्ठइ अहालन्दमवि ओग्गहे / 30. अत्थि याइं थ 20 केइ उवस्सयपरियावन्ने अचित्ते परिहरणारिहे, स च्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुन्नवणा चिट्ठइ अहालन्दमविओग्गहे।३१. से वत्थूसु अव्वावडेसु अव्वोगडेसु अपरपरिग्गहिएसु अमरपरिग्गहिएसु स च्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुन्नवणा चिट्ठइ अहालन्दमवि ओग्गहे / 32. से वत्थूमु वावडे सु वोगडेसु परपरिहिएसु भिक्खुभावस्साए दोच्चं पि ओग्गहे अणुन्नवेयव्वे सिया / 33. से अणुकुड्डेसु वा अणुभित्तीसु वा अणुचरियासु वा अणुफरिहासु वा अणुपन्थेसु वा अणुमेरासु वा स च्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुन्नवणा चिठ्ठ: 25 अहालन्दमवि ओम्महे / ३४.से गामंसि वाजाव संनिवेससि वा बहिया सेणं संनिविटुं पेहाए कप्पइ निम्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा तदिवसं भिक्खायरियाए गन्तूणं पडिनियत्तए, नो से कप्पइ तं रयणिं तत्थेव उवाइणावेत्तए। जे खलु निम्गन्थे वा निग्गन्थी वा तं रयाणिं तत्थेव उवाइणावेइ उवाइणावेन्तं वा साइजइ, से दुहओ वीइक्कममाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं / 35. से गामंसि वा जाव संनिवेससि वा कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा सव्वओ समन्ता सकोसंजोयणं ओग्गहं ओगिण्हित्ताणं परिहारं परिहरित्तए-त्ति बेमि / // कप्पे तइओ उद्देसओ समत्तो // 30

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