Book Title: Kalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra Author(s): Jinvijay Publisher: ZZZ UnknownPage 18
________________ 1, 17-24] पवहारसुतं [17 वा....( जहा 15 णबरं बहुसो वि)....छम्मासा / 17. जे भिक्खू घाउम्मासियं वा साइरेगं वा पञ्चमासियं वा साइरेगं वा एएसिं परिहारट्ठाणाणं अन्नयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, अपलिउञ्चिय आलोएमाणे ठवाणिज्ज ठकइत्ता करणिज्जं वेयावडियं / ठविए विपडिसेवित्ता से विकासणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया। पुवि पडिसेवियं पुल्वि आलोइयं, पुदिव पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, पच्छा पडिसेवियं पुदिव आलोइयं, पच्छा पडिसेवियं 5 पच्छा आलोइयं / अपलिउञ्चिए अपलिउञ्चियं, अपलिउञ्चिए पलिउञ्चियं, पलिउञ्चिए अपलिउश्चियं, पलिउञ्चिए पलिउञ्चियं / अपलिउञ्चिए अपलिउञ्चियं आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय ने एयाए पट्ठवणाए पट्ठविए निव्विसमाणे पडिसेवेइ से वि कासणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया / 18. जे भिक्खू बहुसो वि चाउम्मासियं वा बहुसो वि साइरेग चाउमासियं वा....( जहा 17 गवरं बहुसो वि)....आरुहेयव्वे सिया / एयं पलिउश्चिए / 10 19. जे भिक्ख चाउम्मासियं वा....(जहा १५)....आलोएज्जा, पलिउश्चिय आलोएमाणे.... ( जहा 17 )....पलिउश्चिए पलिउश्चियं / पलिउञ्चिए पलिउश्चियं आलोएमाणम्स....( जहा 17 ) ....आरुहेयव्वे सिया। . 20. जे भिक्खू बहुसो वि चाउम्मासियं वा बहुसो वि साइरेगं वा....( जहा 19 णवरं बहुसो वि )....आरुहेयव्वे सिया / 15 21. बहवे पारिहारिया बहवे अपारिहारिया इच्छेज्जा एगयओ अभिनिसज्नं वा अभिनिसीहियं वा चेएत्तए / नो से कप्पइ थेरे अणापुच्छित्ता एगयओ अभिनिसेज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेएत्तए, कप्पइ एहं थेरे आपुच्छित्ता एगयओ अभिनिसेज्नं वा अभिनिसीहियं वा चेएतए / थेरा य ण्हं से वियरेज्जा एव ण्हं कप्पड़ एगयओ अभिनिसज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेएत्तए, थेरा य ण्हं से नो वियरेजा, एव ग्रहं नो कप्पइ एगयओ अभिनिसेज वा अभिनिसीहियं वा चेएत्तए / जो णं थेरेहि अविइण्णे अभिनिसज्ज वा अभिनिसाहियं वा चेएइ, से सन्तरा छेए वा परिहारे वा। 22. परिहारकप्पट्ठिए भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा / थेरा य से सरेज्जा कप्पइ से एगराइयाए पडिमाए जण्णं जणं दिसं अन्ने साहम्मिया विहरंति तण्णं तण्णं दिसं उवलित्तए। नो से कप्पइ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए / तंसि च णं कारणंसि णिठ्ठियंसि परो वएज्जा ‘वसाहि अज्जो, एगरायं वा दुरायं वा!' एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा 5 वत्थए; नो से कप्पइ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए / जं तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वसइ, से सन्तरा छेए वा परिहारे वा / 23. परिहारकप्पट्ठिए भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा / थेरा य नो सरेज्जा, कप्पई से निविसमाणस्स एगराइयाए पडिमाए....(जहा२२)....परिहारे वा। . 24. परिहारकप्पट्ठिए भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा / थेरा य से सरेज्जा वा नो वा सरेज्जा, नो कप्पइ से निव्विसमाणस्स एगराइयाए पडिमाए....(जहा२२)....परिहारे वा / .5 K. S.Page Navigation
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