Book Title: Kalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra Author(s): Jinvijay Publisher: ZZZ UnknownPage 58
________________ 16, 30-90.17,1-122] निसीइसुत्तं [57 30. सज्झायं उद्दिसइ, 31. वाएइ, 32. पडिच्छइ; मे भिक्खू असणं का पाणं वा खाइमं वा साइमं वा 33. पुढवीए, 34. संधारए 35. देहासे निक्खिबह; ने मिक्खू 36. अन्नउत्थीहिं वा गारत्थीहिं वा सद्धिं भुज; 37. आवेदिय-परिवेदिए भुज; 5 38. आयरिय-उवज्झायाणं सेज-संथारगं पाएणं संघद्देत्ता हत्येण अणणुन्नवेता धारय माणे गच्छद; 39. पमाणाइरित्तं वा गप्पणारितं वा उवहिं धरेइ 40-50. अनन्तर-हियाए ‘पुढवीए....( जहा 13, 1-11 )....चलाचले उच्चार पासषणं परिट्ठकेइ 2 तं वा साइज्जइ, तं सेवमाणे आवजइ चाउम्मासियं पारहार-ठाणं उग्घाझ्यं / 10 15 // सत्तरसपो उद्देसओ॥ ने भिक्खू कोऊहल्ल-पडियाए 1. अन्नयरं तसपाण-जायं तण-पासएण वा....(जहा १२-१)....बंधइ, २.बढेग वा मुयइ; 3-5. तण-मालियं वा....( जहा 7, १-३)....पिणइ 6-8. अय-लोहाणि वा....( जहा 7, 4-6 )....पारभुजइ; 9-11: हाराणि वा....( जहा 7, ७-९)....पारभुजइ 12-14. आईणाणि वा....( जहा 7, १०-१२)....परिमुखइ . ना निम्गन्थी 15-67. निग्गन्थस्स पाए अन्नउत्थिएण वा गारथिएण वा आमज्जावेज वा....( जहा 3,80 16-68 नवरं आमज्जावेज )....सीस-दुवारियं कारवेइ ने निग्गन्ये 68-120. निम्गन्थीए पाए अन्नउत्यिणीए वा गारत्थिणीए वा....(जहा 15-67).... सीस-दुवारियं कारवेइ मे निमन्ये 121. निग्गन्थस्स सरिसगस्स सन्ते ओवासे सन्ते ओवासे न देह; ना निम्गन्थी .. 122. निग्गन्थीए सरिसियाए सन्ते ओवासे सन्ते ओवासे न देइ, 15 K.S.Page Navigation
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