Book Title: Kalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra
Author(s): Jinvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 44
________________ 5, 60-77. 6, 1-77] निसिहसुत्तं [43 60. उद्दसियं, 61. स-पाहुडियं, 62. स-परिकम्मं सेजं अणूपविसइ; 63. 'नत्थि संभोग-वत्तिया किरिय'त्ति वयइ; 64. वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पाय-पुञ्णं वा, 65. लाउय-पायं वा दारु-पा० वा मट्टिय-पा० वा अलं थिरं धुवं धरणिजं पंलिच्छिदिय पलिच्छिदिय परिठ्ठवेइ; 66. दण्डग वा लाठ्ठयं वा अवलहणियं वा वेलु-सूई वा पलिभाञ्जिय परिट्ठवेइ; 67. अइरेग-पमाण रयहरणं धरेइ 68. सुहुमाइं रयहरणं-सीसाइं करेइ 69. रयहरणस्स एक्कं बधं देइ, 70. रयहरणस्स परं तिण्हं बंधाणं देइ रयहरणं; 71. अविहीए बधइं, 72. कण्डूसग बंधणे बंधइ, 73. वोसट्ठं धरई,10 74. अनिसठं धरेइ, 72, अभिक्खणं अभिक्खणं अहिट्ठइ, 76. उस्सीस-मूले / ठावेइ, 77. तुडेइ 2 तं वा साइज्जइ, तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहार-ट्ठाणं उग्नाइयं // छटो उद्देसओ॥ 1. जे भिक्खू माउग्गामं मेहुण-वडियाए विन्नवेइ; 15 जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए . 2. हत्थ-कम्मं करेइ, 3-10. अंगादाणं....( जहा 1, २-९)....निग्घाएइ; 11. जे भिक्खू माउग्गामं मेहुण-वडियाए सयं कुज्जा सयं बूया; जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए 12, कलह कुज्जा, कलहं बूया, कलह-वडियाए गच्छइ; 20 13. लेहं लिहइ, लेहं लिहावेइ, लेह-वडियाए गच्छइ; 14. पिटुंतं वा पासंतं वा भल्लायएण उप्पाएइ, 15. पिठेतं....भल्लायएण उप्पाएता सीओदग वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा, 16. पिठेतं.... पधोएत्ता अन्नयरेणं आलेवण-जाएणं आलिंपेज्ज वा विलिंपेज वा, 17. पिठेतं.... विलिंपित्ता तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा नवणीएण वा अब्भंगेज्ज वा मक्खेज वा, 26 18. पिठेतं....मक्खेत्ता अन्नयरेण धूवण-जाएण धूवेज्ज वा पधूवेज्ज वा; 19. कासिणाई, 20. अहयाई, 21. धोव-रत्ताइं, 22. चित्ताई, 23. विचित्ताई वत्थाइं धरेइ 24-76. अप्पणो पाए....( जहा 3, १६-६८)....सीस-दुवारियं करेइ 77. रवीरं वा दहिं वा नवणीयं वा गुलं वा खण्डं वा सक्कर वा मच्चण्डियं वा अन्नयरं वा पर्णायं वा आहारं आहारेइ 30 2 तं वा साइज्जइ, तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहार-ट्ठाणं अणुग्धाइयं;

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