Book Title: Kalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra
Author(s): Jinvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 43
________________ 42 ] पञ्चमो उद्देसओ 5,1-59 ॥पञ्चमो उद्देसओ॥ जे मिक्खू सचित्त-रुक्ख-मूलसि ठिच्चा / 1. ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेएइ; 2. आलोएज वा पलोएज वा; ___3. असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारेइ; 4. उच्चार-पासवणं परिट्ठवेइ / सज्झायं 5. करेइ, 6. उद्दिसइ, 7. समुद्दिसइ, 8. अनुजाणइ, 9. वाएइ, 10. पडि च्छइ, 11. परियट्टेड जे भिक्ख 10 12. अप्पणो संघाडिं अन्नउत्थिएण वा गारथिएण वा सिव्वावेइ 13, अप्पणो संघाडीए दीह-सुत्ताई करेइ . 14. पिउमंद-पलासयं वा पडोल-प० वा बिल्ल-प० वा सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग वियडेण का संफाणिय संफाणिय आहारेइ 15. पाडिहारियं पाय-पुञ्छणयं जाइत्ता * तामेव रयणिं पञ्चप्पिणइस्सामि' ति सुए पच्चप्पिणइ; 16. पाडिहारियं पाय-पुञ्छणय जाइत्ता * तामेव सुए पञ्चप्पिणइस्सामि' ति रयणिं पञ्चप्पिण 17-18. सागारिय-संतियं पाय पुञ्छणयं....(जहा १५-१६)....पञ्चप्पिणइ; 19-20. पाडिहारियं दण्डयं वा लठ्ठियं वा अवलेहणियं वा वेलु-सूई वा....(जहा १५-१६)....पञ्चप्पिण; 21-22. सागारिय-संतियं दण्डयं वा लट्ठियं वा अवलेहाणयं वा वेलु-सूई वा ....(जहा १५-१६.)....पञ्चप्पिणइ; 23. पाडिहारियं वा सागारिय-संतियं वा सेज्जा-संथारगं पञ्चप्पिणिता दोच्चं पि अणणु नविय अहिडेइ 24. सण-कप्पासाओ वा उण्ण-क० वा पोण्ड-क० वा अमिल-क० वा दीह-सुताई करेइ; 25-27. सचित्ताइं, 28-30. चित्ताइं, 31-33. विचित्ताइं दारु-दण्डाणि वा वेलु दं० वा वेत्त-दं० वा करेड, धरेड, परिभजडः 34, नवम-निवेसंसि गामसि वा जाव संनिवससि वा अणुपविसित्ता, 35, नवग-निवसंसि अयागरंस वा तंबागरंस वा तउ-आ० वा सीस-आ० हिरण्ण-आ० वा सुवण्णआ० वा रयण्ण-आ० वा वइर-आ० वा अणुप्पविसित्ता असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं का पडिग्गाहेइ 36. मुह-वीणियं,३७. दन्त-वी०, 38. उट्ठ-वी०, 39. नासा-वी०, 40. कक्ख-वी०, 41, हत्य-वी०, 42. नह-वी०,४३. पत्त-वी०,४४. पुप्फ-वी०, 45. फल-वी०, 46. बीय-वी०, 47. हरिय-वी. करे 48-59. मुह-वीणियं....जाव....हरिय वी० वाएइ;

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