Book Title: Kalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra
Author(s): Jinvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 39
________________ 38] सइओ उद्देसओ [2, 45-59. 3,1-13 45. मणुन्नं भोयण-जायं पडिग्गाहेत्ता बहु-पारयावन्नं सिया अदृरे तत्थ साहम्मिया संभोइया समणुन्ना अपरिहारिया परिवसन्ति, जे अणापुच्छिय अनिमंतिय परिट्ठवेइ; 46. सागारिय-पिण्डं गिण्हइ, 47. भुज 48. सागारिय-कुलं अजाणिय अपुच्छिय अगवेसिय पुत्वामेव पिण्डवाय-पडियाए अणुपविसइ 49. सागारिय-नीसाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा ओभासिय जायइ; 50. उडुबद्धियं सेज्जा-संथारगं परं पज्जोसवणाओ, 51. वासावासियं सेज्जा-संथारगं परं दसराय-कप्पाओ उवाइणावेइ 52. उडुबद्धियं वा वासावासियं वा सेज्जा-संथारगं उवरि सिज्मामाणं पेहाए न ओसारेइ 53. पाडिहारियं, 54. सागारिय-संतियं, 55. पाडिहारियं वा सागारिय-संतियं वा सेज्जा-संथारगं [ 55 दोच्चं पि ] अणुन्नक्ता बाहिं नीणेइ; . 56. पाडिहारियं सेज्जा-संथारगं आयाए अपडिहटु संपव्वयइ . 57. सागारिय-संतिय सेज्जा-संथारगं आयाए अविगरणं कटु अणप्पिणित्ता संपव्वयइ; 15 58. पडिहारियं वा सागारिय-संतियं वा सेज्जा-संथारगं विप्पणळं न गवसइ; 59. इतिरियं पि उवहिं न पडिलेहेइ; 2 तं वा साइज्जइ, तं सेवमाणे आवज्जइ मासिय परिहार-ट्ठाणं उग्घाइयं / // तइओ उद्देसओ // जे भिक्खू आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा गाहावइ-कुलेसु वा परियावसहेसु वाः / 20 1-4. अनउत्थियं का गारस्थियं वा, अनउत्थिया वा गारत्थिया वा, अन्नउत्थिणिं वा गारस्थिणिं वा, अन्नउत्थिणीओ वा गारत्थिणीओ वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा ओभाप्तिय ओभासिय जायइ; 5-8. कोउहल-पडियाए पडियागयं समाणं. अन्नउत्थियं वा गारत्थियं वा....( जहा १-४)....ओभासिय ओभासिय मायइ / 25 9-12. अन्नउत्थिएण वा गारथिएण. वा, अन्नउत्थिएहि वा गारथिएहि वा, अन्नउत्थि याए वा गारत्थियाए वा, अन्नउत्थिणीहि वा गारत्थिणीहि वा, असणं वा....अभिहडं, आहटु दिज्जमाण पडिग्गाहेत्ता तमवे अणुवत्तिय अणुवत्तिय परिवेढिय परिवेढिय परिजक्यि परिजविय ओभासिय ओभासिय जायइ; जे मिक्खू 30 13. गाहावइ-कुलं पिण्डवाय-पडियाए पविढे पडियाइक्खित्ते समाणे दोचं तमेव कुलं अणुपविसइ;

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