Book Title: Kalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra Author(s): Jinvijay Publisher: ZZZ UnknownPage 38
________________ [ 37 ने भिक्खू 2,1-44 ] . निसिहसुत्तं // बिइओ उद्देसओ॥ जे भिक्ख दारु दण्डगं पाय-पुञ्छणगं 1. करेइ, 2. गिण्हइ, 3. धरेइ, 4. वियरइ, 5. परिभाएइ, 6. परिभुञ्जइ, 7. परं दिवड्ढाओ मासाओ धरेइ, 8. विसुयावेइ; जे भिक्खू 9. आचित्त-पइट्ठियं गंधं जिग्घइ; 10. पय-मम्ग वा संकमं वा अवलंबणं वा, 11. दगवीणिय, 12. सिक्कगं वा सिक्कग गंतगं वा, 13. सोतियं वा रज्जुयं वा; 14. सूईए, 15. पिप्पलगस्स, 16. नह-च्छेयणगस्स, 17. कण्ण-सोहणगस्स उत्तर-करणं सयमेव करेइ जे भिक्खू लहुसगं 18. फरुसं वयइ, 19. मुसं वयइ, 20. अदत्तं आइयइ; . 21. लहुसएण सओिदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा हत्याणि वा पायाणि वा कण्णाणि वा अच्छीणि वा दन्ताणि वा नहाणि वा मुहं वा उच्छोलेज वा पधोएज्ज वा; 15 22. कसिणाइं चम्माइं, 23. कासणाई वत्थाइं, 24. आभन्नाई वत्थाई धरेइ - 25. लाउय पायं वा दारु-पायं वा मट्टिया-पायं वा, 26. दण्डगं वा लट्ठियं वा अवलेहणं वा वेणु-सूइयं वा सयमेव परिघट्टेइ वा संठवेइ वा जमावेइ वा; 27. नियग-गवेसियं, 28 पर-गवेसियं, 29. वर-गवेसिय, ३०.बल-गवेसियं,३१. लव-गवेसियं पडिग्गहगं धरेइ; 20 जे भिक्खू नितिय . . 32. अग्ग-पिण्डं, 33. पिण्डं, 34. अवड्ढ-भागं, 35. भागं, 36. ऊगड्ढ-भागं भुञ्जइ, 37. वासं वसइ; जे भिक्खू 38. पुरे-संथवं पच्छा-संथवं वा करेइ; 39. समेमाणे वा वसमाणे वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे पुरे-संथुइयाणि वा पच्छा-संथुइयाणि वा कुलाई पुज्वामेव पच्छा वा भिक्खायरियाए अणुपविसह जे भिक्खू अन्नउत्थिएण वा गारित्थिएण वा परिहारिओ वा अपरिहारिएण सधिं; 40. गाहावइ-कुलं पिण्डवाय-पडियाए अणुपविसइ वा निक्खमइ वा, 41. बहिया विहारभूमि वा वियार-भूमिं वा निक्खमइ वा पविसइ वा, 42. गामाणुगामं दूइज्जइ; जे भिक्खू 43. अन्नयरं भोयण-जायं पडिग्गाहेत्ता सुभि सुभि भुञ्जइ, दुभि दुभि परिट्ठवेइ; 44. अन्नयरं पाणग-जायं पडिम्गाहेत्ता पुप्फगं पुप्फगं आइयइ, कसायं कसायं परिट्ठवेइ; 9 K. S. 25 30Page Navigation
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